Yoga: फिट शरीर से लेकर शांत मन तक, वीरभद्रासन के हैं कई फायदे

Update: 2025-01-04 06:02 GMT
Yoga: वीरभद्रासन न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प है। यह ध्यान बढ़ाने और उसे बनाये रखने में मदद करता है। साथ ही आंतरिक शक्ति को बढ़ाने के अलावा चिंता और तनाव को भी कम करता है।
वीरभद्रासन के प्रकार :
इस वेरिएशन में पैरों को एक पैर-लंबाई से अलग रखा जाता है। आगे का पैर सीधे आगे की तरफ जबकि पीछे का पैर 45 डिग्री के एंगल पर अंदर की तरफ रखा जाता है। इसमें आपके कूल्हे यानी हिप्स और कंधे आगे की तरफ होते हैं, वहीं भुजाएं सिर के ऊपर की तरफ उठी हुई होती हैं।
यह पोज़ लेग्स, हिप्स और कोर की मजबूती के साथ ही बैलेंस बनाने, चेस्ट और शोल्डर की स्ट्रेचिंग के लिए अच्छा माना जाता है।
वीरभद्रासन के दूसरे वेरिएशन में पैरों के बीच गैप 3-4 फीट होता है जिसमें आगे का पैर बिलकुल स्ट्रेट आगे की तरफ और पीछे का पैर 90 डिग्री का एंगल बनाता है। इसमें हिप्स आगे की तरफ, सामने वाला हाथ भी आगे की तरफ जबकि पीछे का हाथ पीछे तरफ होना चाहिए।
यह लेग्स, हिप्स और कोर को मजबूत करता है। यह बैलेंस और स्टेबिलिटी के साथ ही हिप्स को स्ट्रेच करने में भी मददगार है।
इस वेरिएशन में, पैरों को हिप्स से अलग रखा जाता है, जबकि वज़न एक पैर पर होता है। वहीं दूसरा शरीर से पीछे उठाया जाता है। इस पोज़ में हाथ और पैर और टोरसो आगे ज़मीन की तरफ समानांतर होते हैं।
यह पोज़ लेग्स, हिप्स और कोर को मजबूत करता है, बैलेंस और स्टेबिलिटी में सुधार करता है। साथ ही हैमस्ट्रिंग और पीठ का निचला भाग भी स्ट्रेच होता है।
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