डायबिटीज़ में बढ़ रहा है वज़न तो ये बातें हैं ज़िम्मेदार
डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों को अक्सर इससे जुड़ी दूसरी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है, जिनमें सबसे ज़्यादा वज़न बढ़ने या घटने का मामला होता है. शरीर का वज़न बढ़ना या घटना, दोनों ही हालात सेहत के लिए नुक़सानदेह होते हैं.
जनता से रिश्ता। डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों को अक्सर इससे जुड़ी दूसरी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है, जिनमें सबसे ज़्यादा वज़न बढ़ने या घटने का मामला होता है. शरीर का वज़न बढ़ना या घटना, दोनों ही हालात सेहत के लिए नुक़सानदेह होते हैं. अपने आप तेज़ी से घटता वज़न आम तौर पर प्री-डायबिटीज़ या डायबिटीज़ होने की ओर इशारा करता है. इसके अलावा, मोटापा ख़ुद एक तरफ़ जहां डायबिटीज़ होने की वजहों में से एक होता है, वहीं डायबिटिक लोगों में वज़न बढ़ना एक समस्या की तरह देखा जाता है. खैर, डायबिटीज़ जिस भी स्थिति में हो या आपका वज़न किसी भी दायरे में आता हो, सबसे अहम होता है ख़ुद को तनाव में डाले बिना इन समस्याओं से निपटना.
वैसे तो, आमतौर पर वयस्कों के लिए बढ़ते या घटते वज़न के हालात से निपटने के लिए खान-पान और ढेर सारी शारीरिक गतिविधियों के विकल्प मौजूद हैं, लेकिन डायबिटीज़ के मामले में उन तरीक़ों को सीधे ही नहीं अपनाया जा सकता. इसलिए हमने यहां डायबिटीज़ और वज़न से जुड़े उन सवालों के जवाब देने की कोशिश की है, जो डायबिटिक को उलझन में डाल देती है. डायबिटीज़ के मामले में, वज़न को नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति की फ़िज़ियोलॉजी (जीवन पद्धति) को समझना बेहद ज़रूरी होता है. आइये जानते हैं, डायबिटीज और आपके वज़न से जुड़ी परेशानी क्या है और इसे सही ढंग से क़ाबू कैसे करें.
वज़न बढ़ने की फ़िज़ियोलॉजी
"अगर आपका वज़न ज़्यादा है या आप मोटापे के शिकार हैं, तो आप डायबिटीज़ की चपेट में आ सकते हैं" -अगर आप डायबिटीज़ से वाकिफ़ हैं, तो आपने पहले भी ये सुना होगा- मोटापा और ज़्यादा वज़न डायबिटीज़ होने की अहम वजहों में से एक होते हैं. हालांकि, ये ज़रूरी नहीं कि वे अकेले ही इस हालत के लिए जवाबदार हों. कई और जोखिम भरी बातें इसमें शामिल हो सकती हैं. इतना ही नहीं बिना वज़न बढ़ाए भी ये परेशानी खड़ी हो सकती है.
डायबिटीज़ के लक्षण के तौर पर वज़न का घटना, डायबिटीज़ होने का दूसरा असर होता है. ख़ास तौर पर ऐसा तब होता है जब पैंक्रियाज़ पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर इंसुलिन सही ढंग से अपना काम नहीं कर पाता. नतीजन शरीर को ग्लूकोज़ की कमी से गुजरना पड़ता है और मांसपेशियां ऊर्जा के लिए फ़ैट सेल्स (वसा कोशिकाओं) का इस्तेमाल करने लगती हैं. इस तरह डायबिटीज़ होने पर वज़न कम होने लगता है.
क्या डायबिटीज़ वज़न बढ़ने की वजह बन सकता है?
बार-बार पेशाब लगने, चिड़चिड़ापन होने और थकान लगने जैसे डायबिटीज़ के लक्षणों के साथ तेज़ी से वज़न घटने को डायबिटीज़ होने के लक्षण के तौर पर देखा जाता है. वज़न घटने के साथ डायबिटीज़ होने की पहचान करने में आसानी हो जाती है. ख़ैर, ऐसा डायबिटीज़ होने के शुरुआती दौर या प्रीडायबिटीज़ की स्थिति में ही होता है. डायबिटीज़ की चपेट में पूरी तरह आने के बाद ज्यादातर वज़न बढ़ने की परेशानी हो सकती है.
जब आपका ब्लड शुगर लेवल ज़्यादा होता है तो बिना इस्तेमाल किए गए इंसुलिन इकट्ठा होने के भी आसार होते हैं, क्योंकि इंसुलिन सही ढंग से काम नहीं करते. बिना इस्तेमाल किए गए इंसुलिन की बढ़ती तादाद के चलते शरीर में फ़ैट ख़र्च नहीं हो पाता, जिससे आख़िर में बिना इस्तेमाल किया गया फ़ैट मांसपेशियों में इकट्ठा होने लगता है. डायबिटीज़ ग्रस्त लोगों में बढ़ते वज़न की ये सबसे अहम वजह है.
ब्लड शुगर लेवल का ज़्यादा होना भी डायबिटीज़ के चलते वज़न बढ़ने की एक वजह होती है. बढ़े हुए ब्लड ग्लूकोज़ (या ब्लड शुगर, जो ऊर्जा के लिए ज़रूरी होता है) का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं होता, क्योंकि ये शरीर की कोशिकाओं के ज़रिए ख़र्च नहीं हो पाते. नतीजन, ये पेशाब के ज़रिए शरीर के बाहर निकाले जाते हैं. जो भी हो इसके बावजूद शरीर को ग्लूकोज़ नहीं मिलता, ज़्यादा ग्लूकोज़ लेने का इशारा मिलता है, जिससे हमें यक़ीन हो जाता है कि हमें और शक्कर की ज़रूरत है. इसके चलते व्यक्ति को भूख लगती है. नतीजन व्यक्ति के खाने की इच्छा बढ़ जाती है, जिसे अगर संभाला न जाए तो बेवजह हम ज़्यादा और ख़ासकर सेहत को नुक़सान पहुंचाने वाली चीज़ें खाते हैं. वज़न बढ़ने की सबसे अहम प्रक्रिया यही होती है, ऐसा कहा जाए तो ग़लत नहीं.
बहरहाल, हो सकता है आपको ये जानकर ताज्जुब हो कि ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होने पर भी आपका वज़न बढ़ सकता है. ज़्यादातर ऐसे मामले के लिए, आपके डायबिटीज़ की दवाइयां या कोई दूसरा इलाज ज़िम्मेदार हो सकती है.
डायबिटीज़ में बढ़ते वज़न को कैसे रोकें
इस दौर और उम्र में मौजूदा जीवनशैली का वज़न बढ़ने के पीछे बहुत बड़ा हाथ है, जिससे हर व्यक्ति परेशान है, यहां तक कि तब भी जब आपकी सेहत अच्छी स्थिति में हो. इसलिए डायबिटिक व्यक्ति को अपने बढ़ते वज़न को लेकर सावधान हो जाना चाहिए. हमें सेहतमंद वज़न और बढ़े हुए वज़न को कम करने के सही तरीक़े अपनाने चाहिए.
डायबिटीज़ के मामले में वज़न पर क़ाबू पाना थोड़ा मुश्किल भरा होता है. लिहाज़ा हमें वज़न नियंत्रित करने या कम करने के लिए कुछ ऐसे तरीक़ों की ज़रूरत होती है जिसे सभी अपना सकें. हम नीचे उन आदतों के बारे में बता रहे हैं, जिसे वज़न कम करने की कोशिश करने वाले डायबिटिक आज़माना शुरू कर दें:
सबसे पहले तो, खान-पान में समझदारी बरतना ज़रूरी होता है, ऐसा न सिर्फ़ वज़न कम करने के लिए बल्कि सेहतमंद बने रहने के लिए भी. इसलिए हर किसी को संतुलित खाना और नाश्ते में सेहतमंद विकल्प ही चुनना चाहिए. इसके अलावा, ब्लड शुगर और वज़न को नियंत्रण में रखने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर के अंतर पर कुछ खाते रहना बहुत ज़रूरी है. हो सकता है ये थोड़ा पेचीदा लगे, पर हर 2-3 घंटे के अंतर पर हल्का-फुल्का खाना खाकर बिना भूख बढ़ाए और ज़्यादा मात्रा में खाए, शरीर को सेहतमंद रखा जा सकता है.
दूसरी बात, भरपूर पानी पिएं. अक्सर हम अपने शरीर में पानी की मांग को भूख समझ लेते हैं. पानी शरीर से विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) को निकालने, शरीर को सेहतमंद और पोषित बनाए रखने में अहम है. आमतौर पर रोज़ाना छे से आठ गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है. अगर इतना पानी आपको पीने में ज़्यादा लगे, तो याद से हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखना शुरू करें और थोड़ी-थोड़ी देर में घूंट-घूंट पानी पिएं.
तीसरी बात, शरीर को एक्टिव रखें! आप वज़न कम करने के चाहे जिन भी तरीक़ों का इस्तेमाल कर रहे हों, लेकिन शारीरिक गतिविधियों को अपने प्लान में ज़रूर शामिल करें. मांसपेशियों की एक्सरसाइज़ से न सिर्फ़ आपको वज़न कम करने में मदद मिलती है बल्कि यह दूसरी परेशानियों से राहत दिलाने में भी कारगर होता है. एक्सरसाइज़ से तनाव में कमी होने और मानसिक सेहत में सुधार जैसे फ़ायदे होते हैं. इसके अलावा शारीरिक गतिविधियों में ज़रूरी नहीं कि पसीना बहाने वाली एक्सरसाइज़ की जाए, जिससे शरीर का पानी कम हो जाए. आप जो करते हों या करना पसंद करते हों, उसी एक्सरसाइज़ का विकल्प चुनें, जैसे कि- जॉगिंग, खेल, डांस, योग वग़ैरह. इस मामले में चुनें वही जो पसंद हो.
आपकी लाइफ़स्टाइल अगर काफ़ी ठहरी हुई रही है तो आप धीमी शुरुआत करें. हमारी उम्र या वज़न नहीं बल्कि इसे करने के लिए दिल की मंजूरी और हौसले की ज़रूरत होती है.
अपने न्यूट्रीशनिष्ट की सलाह ज़रूर लें. न्यूट्रीशनिष्ट आपके हालात और शरीर की ज़रूरतों को समझने में सक्षम होते हैं. वे आपको सही तरीक़े के खान-पान से जुड़ी सलाह देने के अलावा आपको उन सबसे अच्छी चीज़ों को (सूपरफ़ूड्स) लेने की सलाह देते हैं जो आपके लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है. इनसे आपको वज़न कम करने और दूसरी परेशानियों से निपटने में मदद मिलती है.
साथ ही, ध्यान से आप अपने ब्लड शुगर लेवल का नियमित ट्रैक रखें. अपने डॉक्टर से पूछें कि आपको किस वक़्त और कितनी बार अपने ब्लड शुगर की निगरानी करनी है.
क्या बढ़ता वज़न डायबिटीज़ होने का लक्षण होता है?
वज़न में उतार-चढ़ाव डायबिटीज़ के शुरूआती और ग़ौर किए जाने वाला लक्षण होता है. आमतौर पर ये तब नज़र आता है जब डायबिटीज़ अस्थिर होता है या फिर नियंत्रित करने की कोशीश ना की गई हो. जैसा कि हम सभी जानते हैं तेज़ी से वज़न का कम होना डायबिटीज़ का शुरूआती लक्षण है, वैसे ही वज़न का बढ़ना डायबिटीज़ की अगली स्थिति का लक्षण होता है. डायबिटीज़ की इस स्थिति में आप न इस्तेमाल किए गए सारे ग्लूकोज़ का इस्तेमाल पेशाब के ज़रिए करते हैं, क्योंकि इंसुलिन सही ढंग से काम नहीं कर पाता. जिसके दौरान आपकी कैलोरी भी ख़र्च होती है. नतीजन आपका वज़न घटता है.
इसी दौरान, जांच किए बग़ैर आपकी डायबिटीज़ बढ़ती जाती है. रोज़ाना काम के लिए आपके शरीर को ज़रूरत भर का शुगर या ग्लूकोज़ नहीं मिल पाता. इससे ज़्यादा खाने की ज़रूरत है, ऐसा आपको महसूस होता है और यही संदेश दिमाग को भी मिलता है. तब आपका दिमाग आपको संदेश देता है कि आपके शरीर को खाने की ज़रूरत है, जिसके चलते आख़िरकार आप ढेर सारी चीज़ें खाते हैं जिससे सिर्फ़ आपके शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती है. नतीजन, डायबिटीज़ होने पर आपका वज़न बढ़ता है.
अब तक अगर आप डायबिटीज़ के शिकार नहीं हुए, तो ये इसके होने का संकेत हो सकता है. वज़न से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए, हम यही सलाह देंगे कि बेवजह वज़न घटता नज़र आए तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से मिलें. आगे चलकर आप डायबिटीज के आसार कम करते हुए घटते वज़न से निपटने और सामान्य बॉडी मॉस इंडेक्स (BMI) (कैलक्युलेटर आपका वजन आपकी ऊंचाई के अनुरूप हैं या नहीं यह बताता है) पाने के लिए सेहतमंद क़दम उठा सकते हैं.
आख़िर में ये बात तय है कि वज़न का बढ़ना डायबिटीज़ होने का लक्षण हो सकता है, जिसे हम सभी बख़ूब जानते भी हैं. इसलिए घरेलू नुस्खे आज़माएं, अच्छी सेहत पाएं.
डायबिटीज़ की वजह से जिनका वज़न कम हुआ वे दोबारा सेहतमंद वज़न कैसे पा सकते हैं?
BMI का सामान्य रेंज से कम होना उतना ही नुक़सानदायक है, जितना ज़्यादा वज़न या मोटापे का होना. एक भारतीय वयस्क के लिए, सेहतमंद बीएमआई की दर 18.5; से शुरू होती है. इससे कम दर के व्यक्ति को अंडरवेट (ज़रूरत से कम वज़न) माना जाता है. इसलिए अंडरवेट होना कोई ख़ुशी की बात नहीं.
जो डायबिटिक अंडरवेट हैं या अपना वज़न बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए यही सलाह है कि वे इसकी शुरुआत धीमी रफ़्तार में करें. चाहे वज़न कम करने की बात हो या बढ़ाने की, तेज़ रफ़्तार में ऐसा करना ना तो व्यावहारिक है ना ही यह लंबे समय तक स्थिर रहने वाला. इसीलिए धीमी शुरुआत करना ही सबसे अच्छा होता है.
वज़न कम करने की ही तरह बढ़ाने के मामले मे भी, खान-पान की भूमिका अहम होती है. हम देते हैं आपको वज़न बढ़ाने वाले सही डाइट की जानकारी:
अपने दिनभर के खाने की तयारी पहले से कर लें और अगर मुमकिन हो तो उसे अपने साथ रखें. आपके पास शक्कर से भरपूर सेहत के लिए नुक़सानदेह चीज़ों को खाने का विकल्प नहीं; इनसे परहेज करना बेहतर है. डायबिटीज़ ना हो तब भी आपको इन चीज़ों को ज़्यादा मात्रा में खाने से बचना चाहिए.
सेहतमंद कैलोरी युक्त चीज़ों को चुनें. प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट युक्त चीज़ों को दूसरे पोषक चीज़ों में कटौती किए बिना अपने खाने में संतुलित मात्रा में शामिल करें.
थोड़े-थोड़े वक़्त के अंतर पर हल्का-फुल्का खाते रहना बहुत ज़रूरी होता है. हां, ये सलाह हम वज़न कम करने की कोशिश करने वालों को भी देते हैं. थोड़े वक़्त में हल्का-फुल्का खाना, दोनों ही मामलो में असरदार होता है. इसका मकसद होता है,किसी नुक़सान के पहले शरीर की ज़रूरत को पूरा करना. तो कभी ख़ुद को भूखा ना रखें!
वज़न कम करना हो या बढ़ाना, दोनों ही हालातों के लिए शारीरिक गतिविधियों को जीवनशैली में शामिल करना ज़रूरी है. सुस्त जीवनशैली के साथ वज़न बढ़ाने की कोशिश करने पर मोटापे का आसार बढ़ जाता है और हम बिलकुल नहीं चाहते कि ऐसी नौबत आए. जब आप एक्सरसाइज़ करते हैं तब आपकी मांसपेशियों का वज़न बढ़ता है, जिसकी आपको ज़रूरत है. इसलिए गतिविधियां करते रहें!
भरपूर पानी पिएं! जिससे शरीर के टोक्सिंस बाहर निकलें और शरीर हाइड्रेटेड रहे. अगर आप घटते वज़न से जूझ रहे हैं, तो किसी भी शर्त पर शरीर को डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार न होने दें. शरीर में पानी की कमी के चलते आप थकान, भारीपन, कब्ज़, मांसपेशियों में दर्द और ज़्यादा भूख महसूस हो सकता है. इसलिए पानी पीना न भूलें.
रात में अच्छी नींद लें. सोने में रुकावट डालने वाली सभी चीज़ों को बंद कर दें, जितना हो सके अच्छी नींद लें. रात में अच्छी नींद न लेने का सीधा असर आपके दिन पर पड़ता है. स्टडीज़ के मुताबिक़ अच्छी नींद ना लेने से आपकी इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) में ख़राबी और हाइपरटेंशन के साथ ही दिल से जुड़ी बीमारी का ख़तरा बढ़ जाता है.
नियमित तौर पर ब्लड शुगर की निगरानी करने की सलाह दी जाती है. आपके वज़न में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर आपकी डायबिटीज़ पर होता है. ब्लड शुगर की नियमित निगरानी करने से ट्रैक रखने और एक्टिविटी तय करने में मदद मिलती है.
डायबिटीज़ आपके वज़न बढ़ने और घटने के हालात को पेचीदा बना देता है. ख़ैर, जो भी हो सही खान-पान, शारीरिक गतिविधि और शरीर की ज़रूरतों का ख़याल रखते हुए सेहतमंद वज़न बनाए रखना ज़रूरी है. आप ऐसे ऐप की मदद ले सकते हैं जो आपके खान-पान और शारीरिक गतिविधियों का ट्रैक रख सके, इस ट्रैक की मदद से डायबिटीज़ से ग्रस्त लोग अपने लिए सही चीज़ें तय कर सकते हैं. इसके अलावा, वज़न से आपके डायबिटीज़ की सेहत पर कैसा हो रहा है इसे जानने के लिए अपने डॉक्टर और न्यूट्रीशनिष्ट की सलाह ज़रूर लें.