वर्तमान समय के परिवेश में इंसान अपनी इन्द्रियों पर संयम नहीं रख पाता है और इसलि वजह से गुस्सा और चिडचिडापन को व्यक्ति अपना स्वभाव में अपना लेता हैं। अगर आपको भी गुस्सा ज्यादा आता है तो आप प्राणायाम का सहारा ले सकते हैं। योग में प्राणायाम का भी अपना विशेष महत्व होता हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस प्राणायाम की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं भ्रामरी प्राणायाम। तो चलिए जानते हैं भ्रामरी प्राणायाम की विधि और फायदे।
* भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि
किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएँ। ध्यान करने के किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठें। आखें बंद कर लें और कुछ समय के लिए पूरे शरीर को शिथिल कर लें। अभ्यास के दौरान होठों को हल्के से बंद रखें और दाँतों की पंक्तियों को थोड़ा अलग रखें। ऐसा करने से ध्वनि ज़्यादा साफ सुनाई देती है। तर्जनी या मध्यमा ऊँगली से कानों को बंद कर लें। यदि नादानुसंधान के आसान का प्रयोग कर रहे हों, तो कानों को अंगूठे से बंद करें और बाकी चारों उंगलियों को सिर पर रखें। एक लंबी गहरी श्वास अंदर ले और फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे से उपास्थि (Cartilage) को दबाएँ। आप चाहें तो उपास्थि (Cartilage) को दबा कर रख सकते हैं या फिर उसे छोड़ दें और फिर दुबारा श्वास छोड़ते हुए दबायें। यह प्रक्रिया करते समय मधुमख्खी जैसी भिनभिनाने की आवाज़ निकालें। ध्वनि ऊँची रखना अधिक लाभदायक है। अगर आपके लिए यह मुमकिन ना हो तो ध्वनि नीची भी रख सकते हैं। इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराएँ।
* भ्रामरी प्राणायाम करने के फायदे
- भ्रामरी प्राणायाम आपको चिंता और क्रोध से मुक्त करता है। अगर आपको हाइपरटेंशन की शिकायत हो तो यह प्राणायाम अवश्य करें।
- गर्मी और सिर दर्द से राहत पाने में मदद करता है भ्रामरी प्राणायाम।
- माइग्रेन और हाई बीपी के लिए चिकित्सिकिय है।
- इस प्राणायाम निरंतर करने से आपकी बुद्धि तेज़ होगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।