विशाल आकाश भी मनाएगा नए साल का जश्न-
हम बात कर रहे हैं क्वाड्रेंट मीटर शावर की, जो साल का शानदार तरीके से स्वागत करेगा। नासा ने जानकारी दी है कि 3 और 4 जनवरी की रात को यह अपने चरम पर होगा। यह मीटर शावर 27 दिसंबर से दिखाई दे रहा है, जो क्वाड्रेंटिड्स क्षुद्रग्रह 2003 EH1 से जुड़ा है। आपको बता दें कि नासा के अनुसार इसे 'मृत धूमकेतु' या 'चट्टान धूमकेतु' माना जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
क्यों खास है क्वाड्रेंट मीटर शावर
जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए मलबे से होकर गुजरती है, तो उल्काएं उत्पन्न होती हैं। हालांकि, क्वाड्रेंटिड्स इस मायने में अनोखे हैं कि वे हर साल केवल कुछ घंटों के लिए अपने चरम पर होते हैं। नासा ने कहा कि यह अल्पकालिक शावर प्रति घंटे 60 से 200 उल्काओं के साथ अपने चरम पर दिखाई देगा। जानकारी के लिए बता दें कि क्वाड्रेंटिड्स नाम क्वाड्रेंस मुरलिस तारामंडल से आया है, जिसकी शुरुआत 1795 में फ्रांसीसी खगोलशास्त्री जेरोम लालंडे ने की थी, लेकिन तब से इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ की मान्यता प्राप्त तारामंडलों की सूची से हटा दिया गया है।
भारत में दिखेंगे क्वाड्रेंटिड्स
क्वाड्रेंटिड्स 16 जनवरी, 2025 तक सक्रिय रहेंगे और 2-3 जनवरी (भारत में 3-4 जनवरी) की रात को अपने चरम पर होंगे। लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी तारामंडल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव का कहना है कि इस दौरान शहरवासी प्रति घंटे 80 से 120 उल्काएं देख सकते हैं। इसका सबसे अच्छा नजारा भोर से पहले के घंटों में होगा। तारामंडल लोगों को इस खगोलीय घटना को देखने के लिए दूरबीन लगाने की योजना बना रहा है। क्वाड्रेंटिड्स उत्तरी गोलार्ध में सबसे अच्छे से दिखते हैं और साफ आसमान में आसानी से दिखाई देंगे।