न्यूयॉर्क: शोधकर्ताओं ने शोध में यह पाया है कि शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा पैदा करने वाले माइटोकॉन्ड्रिया मधुमेह के इलाज की कुंजी हैं। मधुमेह टाइप 2 जैसी बीमारियों का संबंध कोशिकाओं के भीतर मौजूद "माइटोकॉन्ड्रिया" में खराबी से होता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होते हैं या ब्लड शुगर को सामान्य स्तर पर बनाए रखने के लिए अपने अग्न्याशय द्वारा उत्पादित इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह के रोगियों की इंसुलिन उत्पादक अग्नाशय कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया असामान्य होते हैं और वे ऊर्जा उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं।
हालांकि, यह अध्ययन स्पष्ट करने में असमर्थ रहा है कि कोशिकाएं इस प्रकार व्यवहार क्यों करती हैं। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग करके दिखाया कि सही से काम नहीं करने वाले माइटोकॉन्ड्रिया एक ऐसी प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं, जो इन कोशिकाओं की परिपक्वता और कार्य को प्रभावित करती है।
इंटरनल चिकित्सा की अनुसंधान सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की प्रथम लेखिका एमिली एम. वाकर ने कहा, "हम यह निर्धारित करना चाहते थे कि उचित माइटोकॉन्ड्रियल कार्य को बनाए रखने के लिए कौन से रास्ते महत्वपूर्ण हैं।" टीम ने तीन घटकों को नुकसान पहुंचाया जो माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य के लिए आवश्यक हैं: उनका डीएनए, क्षतिग्रस्त माइटोकॉन्ड्रिया से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक मार्ग, और एक वह जो कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया के स्वस्थ पूल को बनाए रखता है।
वॉकर ने कहा, "तीनों ही स्थितियों में, शरीर में एक ही तरह की तनाव प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई। इसने अग्न्याशय की कोशिकाओं को अपरिपक्व बना दिया, जिससे वे पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सकीं और अंततः अग्न्याशय कोशिकाएं ही नहीं रहीं। हमारे परिणामों से पता चलता है कि माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका केंद्रक को संकेत भेज सकते हैं और कोशिका के काम करने के तरीके को बदल सकते हैं।" शोधकर्ताओं ने मानव अग्नाशयी आइलेट कोशिकाओं में भी अपने निष्कर्षों की पुष्टि की। अग्न्याशय की कोशिकाओं का नष्ट होना मधुमेह टाइप 2 का सीधा कारण है। इस अध्ययन से हमें समझने में मदद मिलती है कि यह कैसे होता है और इस समस्या का समाधान कैसे खोजा जा सकता है। टीम उन कोशिकीय मार्गों का और अधिक विश्लेषण करने पर काम कर रही है जो बाधित हैं, और उन्हें उम्मीद है कि वे मधुमेह रोगियों के कोशिका नमूनों में अपने परिणामों को दोहराने में सक्षम हो सकेंगे।