शराब की पहली बूंद पीने से ही शुरू हो जाता है कैंसर का खतरा

Update: 2023-07-03 14:26 GMT
शराब पीना सही है या गलत, इस बात पर बहस बेमानी है, क्योंकि पीने वालों को तो बस पीने का बहाना चाहिए। लेकिन जान है तो जहान है, सुरूर की खातिर सेहत को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं। शराब पीने से सेहत को नुकसान होता है या नहीं इस पर बीते कई सालों से शोध हो रहा हैं। इनमें अलग-अलग दावे किए गए हैं। कुछ शोध कहते है कि सीमित शराब पीकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचा जा सकता है लेकिन हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शराब को लेकर जो दावा किया है वे काफी चौंकाने वाला है। WHO ने अपने दावे में कहा है कि शराब की पहली बूंद पीने से कैंसर का खतरा शुरू हो जाता है। इसके साथ ही शराब पीने का ऐसा कोई भी पैमाना नहीं है, जिसमें ये कहा जाए कि कितनी शराब पीना हानिकारक नहीं है।
7 प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
WHO ने हाल ही में द लांसेट पब्लिक हेल्थ में एक बयान प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि जब शराब की खपत की बात आती है, तो ऐसी कोई सुरक्षित मात्रा नहीं है जो सेहत को प्रभावित न करे। स्टडी में कहा गया है कि अल्कोहल का सेवन करने से कम से कम 7 प्रकार के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसमें माउथ कैंसर, थ्रोट कैंसर, लिवर कैंसर, ऐसोफैगस कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर शामिल हैं।
दरअसल, शराब कोई सामान्य पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है। अल्कोहल एक ऐसा विषैला पदार्थ है। इसे दशकों पहले इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की ओर से समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया था। यह सबसे ज्यादा जोखिम भरा है। इसमें एस्बेस्टस और तंबाकू भी शामिल हैं।
WHO ने अपनी स्टडी में दावा किया है कि इथेनॉल (अल्कोहल) जैविक तंत्र के माध्यम से कैंसर की वजह बनता है। मतलब साफ है कि शराब कितनी ही महंगी क्यों न हो या फिर वह भले ही कम मात्रा में पी जाए, कैंसर का खतरा पैदा करती है। स्टडी में कहा गया है कि अधिक शराब का सेवन करने से कैंसर होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
नए आंकड़े बताते हैं कि यूरोपीय क्षेत्र में कैंसर के कारणों की वजह सिर्फ अल्कोहल है। इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कम मात्रा में अल्कोहल का सेवन किया था। विश्व स्तर पर शराब की सबसे ज्यादा खपत के आंकड़ों पर गौर करें तो यूरोपीय क्षेत्र में लोग काफी शराब पीते हैं। WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. जुरगेन रेहम कहते हैं कि इस क्षेत्र में 200 मिलियन से अधिक लोगों को शराब के कारण कैंसर होने का खतरा है। ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो यह दावा करे कि शराब के कम सेवन से कैंसर के जोखिम को कम होते हैं। उन्होंने कहा कि वंचित और कमजोर आबादी में शराब पीने से ज्यादा मौतें होती हैं। इसके साथ ही इन लोगों की अस्पताल में भर्ती होने की दर भी अधिक होती है। इतना ही नहीं, शराब की शौकीन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या देखी गई है। इसमें सिर्फ अल्कोहल जिम्मेदार है। साथ ही यूरोपीय यूनियन में की गई स्टडी ये खुलासा करती है कि वहां मौत की बड़ी वजह कैंसर है।
यूरोप के WHO के रीजनल ऑफिस में तैनात गैर-संचारी रोग प्रबंधन और क्षेत्रीय सलाहकार डॉ कैरिना फेरेरा-बोर्गेस कहती हैं कि हम शराब के उपयोग के तथाकथित सुरक्षित लेवल को लेकर कोई भी दावा नहीं कर सकते। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी शराब पीते हैं क्योंकि शराब पीने वाले के स्वास्थ्य के लिए जोखिम शराब की पहली बूंद से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ एक दावा कर सकते हैं कि आप जितनी अधिक शराब पीते हैं, यह आपकी सेहत के लिए उतनी ही ज्यादा हानिकारक होती है।
डॉ. फरेरा-बोर्गेस ने कहा कि यह पूरी तरह से साबित हो चुका है कि शराब कैंसर का कारण बन सकती है। हालांकि अभी तक यह फैक्ट अधिकांश देशों के लोगों का मालूम ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें तम्बाकू से बने उत्पादों के बाद अब शराब के बोतल पर भी कैंसर से संबंधित मैसेज देने की जरूरत है।
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