लिवर को स्वस्थ रखने के लिए करें उपाय, मिलेगा लाभ

पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वैश्विक स्तर पर हृदय रोग के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ हाई कोलेस्ट्रॉल को प्रमुख जोखिम कारक मानते हैं।

Update: 2022-06-12 13:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वैश्विक स्तर पर हृदय रोग के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ हाई कोलेस्ट्रॉल को प्रमुख जोखिम कारक मानते हैं। वैसे तो कोलेस्ट्रॉल रक्त में पाया जाने वाला मोमनुमा तत्व होता है जो शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक माना जाता है। हालांकि इसकी बढ़ी हुए मात्रा को गंभीर हृदय रोगों के बढ़ने के खतरे को तौर पर देखा जाता है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं, जिससे भविष्य में होने वाले हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सके।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों का लिवर कमजोर होता है, या जिन्हें लिवर से संबंधित किसी तरह की बीमारी होती है, उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का जोखिम हो सकता है। इसके साथ कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना भी लिवर के लिए समस्याएं बढ़ा सकता है। ऐसे में अगर आप कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए सभी उपाय करके भी लाभ नहीं पा रहे हैं तो अपने लिवर की सेहत पर भी ध्यान दें। आइए जानते हैं कि आखिर लिवर की सेहत का कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से क्या संबंध हो सकता है? कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने के लिए कौन से उपाय करना फायदेमंद हो सकता है?
पहले कोलेस्ट्रॉल के खतरे के बारे में समझिए
कोलेस्ट्रॉल मुख्यरूप से दो प्रकार को होता है- गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) और बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल)। सामान्यतौर पर जब भी हाई कोलेस्ट्रॉल की बात की जाती है तो इसका मतलब बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से है। शरीर में एलडीएल की मात्रा की अधिकता के कारण कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर उन्हें संकुचित कर सकता है, जिससे अंगों को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है। धमनियों के सिकुड़ने से खून के थक्के जमने का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन लोगों को कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है, उन्हें इसे नियंत्रित करने के उपाय करते रहना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल और लिवर का संबंध
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि शरीर में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल का अधिकतर हिस्सा लिवर द्वारा निर्मित होता है, इसलिए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते समय इस अंग की सेहत पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। लिवर, कोलेस्ट्रॉल का ब्रेकडाउन भी करता है, ऐसे में यदि आपका लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो कोलेस्ट्रॉल स्वयं लिवर के साथ शरीर को अन्य हिस्सों को भी क्षति पहुंचा सकता है।
यदि आपके आहार में कोलेस्ट्रॉल वाली चीजों की मात्रा अधिक है तो यह लिवर के आसपास जमकर कई तरह की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। इसके कारण नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज होने का जोखिम सबसे अधिक होता है।
लिवर के लिए भी परेशानियां बढ़ा सकता है कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल को मुख्यरूप से हदय रोगों के प्रमुख कारक के तौर पर जाना जाता है, पर अध्ययनों से पता चलता है कि हृदय के साथ-साथ यह लिवर संबंधी समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ा देता है। विशेषकर डायट्री कोलेस्ट्रॉल के अधिक सेवन को विशेषज्ञ लिवर की सेहत के लिए नुकसानदायक मानते हैं, इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के साथ-साथ लिवर में सूजन और इसके सामान्य कार्यों में बाधा हो सकती है। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डायट्री कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल दोनों पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए क्या करें?
शोध बताते हैं कि जिन लोगों में एलडीएल की अधिकता की समस्या होती है उन्हें दवा के साथ जीवनशैली में बदलाव और आहार पर ध्यान लेकर लाभ मिल सकता है। ऐसे लोगों को सबसे पहले कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने वाली चीजों का सेवन कम कर देना चाहिए। नियमित व्यायाम के साथ वजन कम करने के तरीके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा एलडीएल बढ़ने की समस्या से परेशान लोगों को लिवर को स्वस्थ रखने वाले उपाय भी करते रहने चाहिए, इससे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।
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