स्मार्टफोन आपके बच्चों के लिए हो सकता है नुकसान, ऐसे रखें इनको दूर

जकल माता-पिता अपनी सहूलियत के लिए बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते है.

Update: 2021-02-15 09:25 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | जकल माता-पिता अपनी सहूलियत के लिए बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते है. इस वजह से छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल की ऐसी लत लगी है कि वे घंटों तक इस पर गेम खेलते रहते हैं. अगर आपका बच्चा भी मोबाइल का आदी हो चुका है तो उसकी आदत को अभी से सुधार दीजिए वर्ना भविष्य में बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.

तमाम शोध में ये बात सामने आ चुकी है कि स्मार्टफोन के ज्यादा प्रयोग से बच्चों के दिमाग का विकास प्रभावित होता है, साथ ही उनकी आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है. यदि 10 साल तक के बच्चे स्मार्टफोन का प्रयोग सात घंटे या इससे ज्यादा समय तक करते हैं तो इससे उनके दिमाग की बाहरी परत जिसे कॉर्टेक्स कहा जाता है, वो पतली होने लगती है. जिसका नकारात्मक असर उनके दिमाग की ग्रोथ पर पड़ता है. दिमाग की ग्रोथ रुक भी सकती है.

इससे मस्तिष्क का ग्रे-मैटर का घनत्व भी कम हो सकता है. ग्रे-मैटर याददाश्त, ध्यान, जागरुकता, विचार, भाषा और चेतना को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अलावा स्मार्टफोन के ज्यादा प्रयोग से बच्चों की आंखों में भी सूखापन आ सकता है. जब बच्चे मोबाइल में कोई गेम खेलते हैं तो काफी देर तक एक टक नजर गड़ा कर रखते हैं. ऐसे में देर तक आंखों का मूवमेंट नहीं होता. इससे आंखों में ड्राईनेस, लालिमा और पानी आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

लत छुड़ाने में काम आएंगी ये टिप्स

1. बच्चों का मोबाइल से खेलने के लिए एक निश्चित समय बनाएं. इस टाइम टेबल को लेकर आप भी सख्ती बरतें.

2. बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. उनसे बातें करें, कहानियां सुनाएं और क्विज वगैरह खेलें.

3. बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी में व्यस्त कराएं. इससे भी उनका ध्यान मोबाइल की ओर थोड़ा कम होगा.

4. रात में सोते समय कभी भी बच्चों को मोबाइल न दें. सोते समय अच्छी बातें करें. सोते समय की गई एक्टिविटी के ट्रेसेज हमारे मस्तिष्क में छप जाते हैं. इसकी वजह से सुबह उठते ही सबसे पहले हमारा ध्यान उसी चीज की ओर भागता है. ऐसे में अगर आप उनसे अच्छी बातें करेंगे तो उन पर सकारात्मक असर पड़ेगा.

5. बच्चों को खाना खाते समय मोबाइल देखने की आदत भूलकर भी डालें. इससे बच्चों को खाने का होश नहीं रहता और कई बार वे जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं, या फिर ठीक से खाते ही नहीं. दोनों ही मामलों में उन्हें परेशानी झेलनी पड़ेगी.

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