जानिए प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में क्यों जरूरी है Ultrasound
गर्भावस्था के दौरान बच्चे की ग्रोथ को जानने के लिए डॉक्टर समय समय पर महिला का अल्ट्रासाउंड करते हैं
गर्भावस्था के दौरान बच्चे की ग्रोथ को जानने के लिए डॉक्टर समय समय पर महिला का अल्ट्रासाउंड करते हैं. 18 से 22 हफ्तों के बीच दूसरी तिमाही का अल्ट्रासाउंड किया जाता है. इसे लेवल 2, टिफ्फा स्कैन, एनॉमली स्कैन जैसे नाम से भी जाना जाता है. इस स्कैन के जरिए खासकर यह पता लगाया जाता है कि भ्रूण के शरीर का विकास सही हो रहा है या नहीं और उसमें कोई जन्म दोष तो नहीं है.
जिस समय एनॉमली स्कैन किया जाता है, तब तक महिला अपनी गर्भावस्था का आधा चरण पूरा कर चुकी होती है. ऐसे में गर्भस्थ शिशु के अधिकांश जरूरी अंग विकसित हो चुके हैं. इस अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे के सिर का आकार, रीढ़ की हड्डी की लंबाई, त्वचा का रीढ़ की हड्डी को ढकना, दिल के आकार की जांच, बच्चे के पेट की जांच, बच्चे की किडनियों की जांच, बच्चे के हाथ, पैर, टांगों और बाज़ुओं की जांच भी की जाती है. इस दौरान गर्भ नाल की जांच और अपरा की स्थिति को देखा जाता है, साथ ही शिशु की हलचल को देखा जाता है.
एनॉमली स्कैन करवाना अनिवार्य नहीं होता लेकिन आपके बच्चे के विकास की जांच के लिए डॉक्टर इसे कराने की सलाह देते हैं. इस दौरान माता-पिता को गर्भ में अपने बच्चे को देखने का खूबसूरत अहसास होता है, तो वहीं अगर कोई समस्या दिखती है तो समय रहते उसका उपचार किया जा सकता है.
एनॉमली स्कैन को पूरा होने में करीब 20 मिनट का समय लगता है. इस दौरान विशेषज्ञ अल्ट्रासाउंड प्रोब या ट्रासड्यूसर को पेट पर घुमाते हुए ध्वनि तरंगों के माध्यम से शिशु की विभिन्न अंगों की तस्वीरें लेती हैं. इसके अलावा हृदय गति को भी चेक करती हैं. आमतौर पर इस प्रक्रिया में कोई रेडिएशन का जोखिम नहीं होता है.