कुछ ऐसी गलतियों से बचने की सलाह दी जा रही है जो सहकर्मी से विवाद के बाद मनमुटाव न हो नहीं तो बिगड़ सकती है बात

Update: 2023-07-12 14:21 GMT
लाइफस्टाइल:  कई बार दफ्तर में वैचारिक मतभेद या एक दूसरे से बेहतर करने और आगे निकलने की चाह में सहकर्मियों के बीच मनमुटाव हो जाता है। दिन का अधिकतम वक्त दफ्तर में ही गुजरता है। उनमें से कई सहकर्मियों के बीच दोस्ती और आपसी समझ का रिश्ता बन जाता है। वहीं कई ऐसे साथी भी होते हैं, जिनसे मनमुटाव हो सकता है। उनके साथ दफ्तर में एक साथ काम करना, किसी बात पर चर्चा करना मुश्किल हो जाता है। कई बार आप दोनों के बीच के विवाद का फायदा दूसरे सहकर्मी भी उठाते हैं और मनमुटाव बढ़ जाता है। इसके चलते नकारात्मकता बढ़ती जाती है और प्रोफेशनल रिलेशनशिप पर भी असर पड़ता है। अगर दफ्तर में आपका भी किसी सहकर्मी के साथ वैचारिक मतभेद है या किसी कारण आप दोनों के बीच विवाद हुआ है तो प्रयास करें कि मनमुटाव अधिक न बढ़े। कुछ गलतियों से बचें ताकि दफ्तर में दो सहकर्मियों के बीच का विवाद नकारात्मकता न फैलाए। यहां आपको कुछ ऐसी गलतियों से बचने की सलाह दी जा रही है जो सहकर्मी से विवाद के बाद आपको कभी नहीं करनी चाहिए।
सहकर्मी से विवाद होने पर खुद से बात संभालें। हर बात पर बाॅस तक शिकायत न ले जाएं। काम को लेकर अगर मनमुटाव है तो उसका हल मिलकर निकालें। अगर ऐसा न हो पाए तो किसी वरिष्ठ की मदद ले सकते हैं, लेकिन यह दोनों सहकर्मी मिलकर तय करें। अकेले में साथी की शिकायत करने से बचें। इससे आप दोनों के बीच का रिश्ता और अधिक गंभीर हो जाता है और वह भी शिकायत करने लगते हैं। सहकर्मी से काम को लेकर तनाव बढ़ जाए तो उनसे सीधे बात करें। सहकर्मी को बताएं कि आप उनकी किस बात से सहमति नहीं रखते हैं। यह जानने का प्रयास करें सहकर्मी को आपसे क्या परेशानी है, ताकि मिलकर दोनों के बीच की समस्या को कम कर सकें।
किसी भी विवाद का सबसे बड़ा कारण दोनों लोगों के बीच तीसरे का प्रवेश होता है। सहकर्मी से विवाद होने पर आप किसी दूसरे सहकर्मी से चर्चा करते हैं। वह तीसरा शख्स आपका सहकर्मी होने के साथ ही उनका भी साथी होता है। इससे ऑफिस गॉसिप बढ़ती है और विवाद कम होने के बजाय बढ़ने लगता है। कई बार तीसरा सहकर्मी आपके विवाद से फायदा उठाने का भी प्रयास कर सकता है। सहकर्मी से मनमुटाव हो जाए तो भी प्रोफेशनल रवैए को बनाए रखें। जरूरत पड़ने पर सहकर्मी की मदद करने से पीछे न हटें। अपनी नाराजगी और गुस्से में नैतिकता न भूलें। इस बात का ध्यान रखें कि गुस्से में गलत शब्दों, निजी टिप्पणियों से बचें।
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