GULAB HALWA RECIPE : पाली की पहचान वैसे तो टैक्सटाइल TEXTILE हब के रूप में है. मगर एक खास किस्म के हलवे के कारण भी पाली की पहचान विदेशों तक है. मारवाड़ की बात करें, यहां पर अगर गुलाब हलवा थाली में न हो, तो मानो त्यौहार अधूरा सा लगता है. केवल दूध और शक्कर से बनने वाले इस हलवे की डिमांड त्यौहारी सीजन में और अधिक बढ़ जाती है. यहां पर 40 साल से भी ज्यादा पुरानी दुकान है, जिसका नाम चैन जी का हलवा है. इनका हलवा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक प्रसिद्धि है. लोग यहां पर चैन जी का हलवा नाम की दुकान को ढूंढते हुए पहुंचते हैं. पाली शहर के व्यास कॉलोनी COLONY के पास चैन जी का हलवा नाम से यह दुकान काफी प्रसिद्ध है और यहां के हलवे का लोग स्वाद नहीं भूलते हैं.
20 करोड़ से ज्यादा होता है कारोबार
गुलाब हलवे की रेसिपी RECIPE का सीक्रेट SECRET बस इतना सा है कि दूध, शक्कर और थोड़ी सी इलायची के साथ इसे पकाने की टाइमिंग TIMING है. इसके स्वाद के पीछे पाली का क्लाइमेट और लोकल कारीगरों का हुनर भी महत्वपूर्ण है. जो भी इसका स्वाद एक बार चख लेता है, खुद को दोबारा टेस्ट TEST करने से नहीं रोक पाता. तभी तो लोगों की जुबान पर चढ़ने वाला गुलाब हलवा आज सालाना 20 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहा है.
ऐसे हुआ गुलाब हलवे का आविष्कार
पाली के भीतरी बाजार में जैन मार्केट JAIN MARKET के निकट स्थित मूलचंद कास्टिया की दुकान है, जहां पाली के प्रसिद्ध हलवे का आविष्कार हुआ. करीब 60 वर्ष पहले मूलचंद कास्टिया की शहर के भीतरी बाजार जैन मार्केट MARKET के पास मिठाई की दुकान थी. उस समय वहां रबड़ी ही बनती थी. वहां गुलाब पुरी भी काम करते थे. कई बार दूध बच जाता था, जिसके उपयोग के लिए एक दिन उसमें शक्कर डालकर उसे धीमी आंच पर पकाना शुरू किया. जब दूध मावे में बदला, तो उसका रंग मैरून होता गया. इसके बाद उसे ठंडा करने के लिए रख दिया. जब इसे चखा, तो उसका स्वाद सबसे अलग और अच्छा लगा. यहीं से गुलाब हलवे के बनने की कहानी शुरू हुई. तब से पाली में धीरे-धीरे कर एक के बाद एक गुलाब हलवे की दुकान खुलना शुरू हुई.