प्रवासी मजदूरों पर हमला
जम्मू-कश्मीर में आम लोगों को निशाना बना कर किए जाने वाले आतंकी हमलों का जारी रहना गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में आम लोगों को निशाना बना कर किए जाने वाले आतंकी हमलों का जारी रहना गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। रविवार को कुलगाम में बिहार के दो प्रवासी मजदूरों की हत्या इन आतंकी घटनाओं की ताजा कड़ी है। इससे एक दिन पहले शनिवार को ही उत्तर प्रदेश के एक कारपेंटर और बिहार के एक फेरीवाले की हत्या हुई थी। 24 घंटे में हुई इन चार हत्याओं ने घाटी में रह रहे प्रवासी मजदूरों के बीच भय का माहौल बना दिया है।
बड़ी संख्या में मजदूर अपने-अपने गांवों की ओर लौटना चाह रहे हैं। ध्यान रहे, चाहे खेतों में काम करने की बात हो या सेब को बागानों से बाजार तक पहुंचाने की या असंगठित क्षेत्रों की अन्य इकाइयों को चलाते रहने की- दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों की यहां प्रमुख भूमिका है। यही वजह है कि रविवार को हुए हमलों की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने बाकायदा चेतावनी जारी करते हुए यहां रह रहे बाहरी मजदूरों से कहा कि वे जल्द से जल्द राज्य छोड़कर चले जाएं। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि इस घबराहट को बढ़ाने के मकसद से आतंकी तत्व आने वाले दिनों में प्रवासी मजदूरों पर ऐसे और हमले करें।
संभवत: इन्हीं आशंकाओं के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों ने इन मजदूरों को सुरक्षा देने के मकसद से कुछ विशेष कदम उठाने की जरूरत महसूस की। लेकिन सोशल मीडिया पर यह बात इस रूप में फैली कि प्रवासी मजदूरों को पुलिस थाने और सुरक्षा बलों के केंद्रों पर लाने के आदेश जारी हुए हैं। इस कथित आदेश को लेकर फैली अफवाह ने आम मजदूरों में डर और बढ़ा दिया। यह प्रकरण सबक है कि एहतियाती कदम उठाने के मामले में भी किसी तरह की हड़बड़ी दिखाना फायदे के बदले नुकसानदेह साबित हो सकता है। एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है। इतना तो स्पष्ट हो ही गया है कि चाहे संगठन के जो भी नए-नए नाम आगे किए जा रहे हों, यह नई रणनीति भी उन्हीं आतंकी तत्वों की करतूत है जो अर्से से इस काम में लगे हैं।
दूसरी बात यह कि इस नई आतंकी रणनीति के मद्देनजर सुरक्षा बलों को भी अपने तौर-तरीकों में आवश्यक बदलाव करने होंगे। सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखना होगा कि भूल से भी ऐसा कोई काम न हो, जिससे स्थानीय बनाम बाहरी या बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक जैसे ध्रुवीकरण को मजबूती मिले। आतंकी तत्व ऐसे किसी मौके का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जिसका इस्तेमाल कर वे आम लोगों के बीच विभाजन को तीखा कर सकें। स्थानीय खुफिया तंत्र को मजबूत करने और आतंकी तत्वों के खिलाफ अभियान चलाते हुए भी सबसे ज्यादा जोर उनके जनविरोधी चेहरे को उजागर करने पर होना चाहिए ताकि आम लोग उसकी असलियत समझते हुए आपसी एका बनाए रखें।