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खून की कमी को दूर करने के लिए लाल गोभी है फायदेमंद
Shiddhant Shriwas
21 May 2022 11:36 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गोरखपुर। सुनहरे शकरकंद के साथ अब गोरखपुर में लाल पत्ता गोभी आपकी सेहत के लिए कारगर साबित हो सकती है। गोरखपुर से 40 किलोमीटर दूर जानीपुर कस्बे के प्रगतिशील किसान इंद्रप्रकाश सिंह इसकी खेती कर रहे हैं। सिर्फ रंगीन होना ही इस गोभी की खूबी नहीं है। इसमें पाए जाने वाले तत्व खून की कमी के खिलाफ सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। कैंसर जैसे रोगों से सुरक्षा देते हैं। इसमें विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।
इंद्रपकाश सिंह राज्य के प्रगतिशील किसानों में शुमार हैं। सब्जियों की खेती में नवाचार के लिए वह जिले और प्रदेश स्तर के कई सम्मान भी पा चुके हैं। उन्होंने अपने एक मित्र से लाल गोभी के बारे में सुना। आदतन उन्होंने इसके बाजार के बारे में जानकारी इकट्ठा की। मंडी के कारोबारियों ने बताया कि रंगीन होने के कारण लगन सलाद के रूप में इसकी ठीक-ठाक मांग निकल सकती है। इसके बाद उन्होंने नर्सरी के लिए बीज की तलाश शुरू की। काफी प्रयास के बाद उनको वाराणसी से यह उपलब्ध हो सका।
फिलहाल उनकी नर्सरी के पौधे शीघ्र ही गोभी की तरह आकार लेने लगेंगे। वह बताते हैं कि जब उन्होंने इसके बारे में पढ़ा तो लगा कि इसकी खेती के लिए पूर्र्वाचल की कृषि जलवायु अनुकूल है। लिहाजा इस साल उन्होंने करीब एक बीघे में इसकी खेती की है। उनकी फसल जिस समय अप्रैल में तैयार होगी, उस समय लगन का समय होगा। ऐसे में उनको उम्मीद है कि उनकी गोभी की मांग और भाव दोनों ठीक रहेंगे। अगर ऐसा हुआ तो अगले साल वह इसकी खेती को और विस्तार देंगे।
इंद्र प्रकाश सिंह सब्जियों की खेती करते हैं। आलू उनकी विशेष फसल है। इसी से उनकी पहचान बनी है। गेंहू, धान वह खाने भर का ही उगाते हैं। इस साल वह पत्ता गोभी की एक ऐसी किस्म भी लगाने जो रहे हैं जो मई में तैयार होगी। आकार में यह गोल की बजाय चौकोर होगी।
कृषि वैज्ञानिक केंद्र , गोरखपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, उद्यान, डॉ. एसपी सिंह ने बताया, "सामान्य पत्ता गोभी में एक कीड़ा होता है, जो छेद कर देता है। सब्जी खराब कर देता है। लेकिन इस लाल पत्ता गोभी में अभी यह देखने को नहीं मिला। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट कैल्शियम और आयरन की मात्रा भी ज्यादा है। यह अन्य बीमारियों के लिए भी लाभकारी है। आने वाले समय में इसका बाजार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।"
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें मुख्य रूप से फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा और पोटेशियम के अलावा विटामिन सी, ए, ई, बी और फाइबर मिलते हैं। स्वाभाविक है कि इसके सेवन से कई तरह की विटामिंस, मिनिरल्स की कमीं की भरपाई होती है। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
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