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लाइफ स्टाइल
गर्दन दर्द की समस्या में राहत पाना चाहते हैं तो दिनचर्या में शामिल करें ये 8 योगासन
Kiran
29 July 2023 5:53 PM GMT
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आजकल की लाइफस्टाइल ऐसी हो चुकी हैं कि लोग कई घंटे बिना हिले लैपटॉप या डेस्क जॉब करते हैं। इसकी वजह से लगातार स्क्रीन को एकटक देखना पड़ता हैं। ऐसे में लोगों को कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ जाता हैं जिसमें से एक हैं गर्दन दर्द की समस्या। यह बहुत सामान्य है और ये कई अन्य वजहों से भी हो सकता है। समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह दर्द बढ़ते हुए कंधों और पीठ तक आसानी से फैल सकता है। अगर आप इस गर्दन दर्द को जड़ से दूर करना चाहते हैं तो आपको योगासन की मदद लेने की जरूरत हैं। गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए योग का अभ्यास एक उत्कृष्ट तरीका है। हम आपको यहां कुछ योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्दन के दर्द में आराम दिलाएंगे। आइये जानते हैं इनके बारे में...
# मार्जरी आसन
इसके अभ्यास के लिए सबसे पहले घुटनों और हाथ के बल मैट पर बैठें। कमर को बाहर तरफ की ओर खींचे। इस दौरान आपको पीठ में खिंचाव महसूस होगा। सांस लेते हुई सिर को ऊपर की तरफ, छत की ओर ले जाएं। उसके बाद, कमर को थोड़ा ढीला छोड़ें और सिर को छाती की तरफ लाएं। इन दोनों पॉश्चर में लगभग 30 सेकंड अभ्यास करें। अगर आपको पीठ या गर्दन से संबंधित समस्या है, तो आप इस आसन का अभ्यास करने से परहेज करें।
# ससंगासन
अभ्यास के लिए सबसे पहले अपने घुटनों के बल बैठ जाएं। हाथों को दोनों ओर से लाते हुए एड़ी पकड़ें। धीरे-धीरे शरीर को झुकाकर सिर को आगे लाएं। तब तक झुकते रहें जब तक सिर आपके घुटनों के पास जमीन को न छू ले। अपनी एड़ी से सहारा लेते हुए शरीर को ऊपर उठाएं। रीढ़ को मोड़ें और सिर को घुटनों के पास दबाएं। 3-5 सांसों के लिए इस स्थिति में रहें। धीरे से पहली स्थिति में लौटें। दो से तीन बार दोहराएं।
# विपरीत करणी आसन
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब, अपने पैरों को सीधा ऊपर उठाएं। पैर छत के समानांतर हैं और आपके पैर दीवार को छू रहे हैं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए शरीर के बगल में अपनी बाहों के साथ आराम करें। लंबी गहरी सांसें लें। घुटनों को पहले लाते हुए धीरे-धीरे नीचे आएं। फिर अपनी बाईं ओर मुड़ें और धीरे से बैठ जाएं।
# सेतुबंध आसन
पीठ के बल लेट जाएं। घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर मजबूती से चिपकाएं रखें। अपनी भुजाओं को शरीर के साथ जमीन पर सीधा रखें। अब शरीर को ऊपर उठाएं और फिर धीरे-धीरे नीचे लाएं। पैरों और कंधों पर वजन का संतुलन रखें। सुनिश्चित करें कि आपके कंधे और हाथ फर्श पर बने रहें। 30 सेकंड से 1 मिनट तक इस स्थिति में रहें। धीरे से प्रारंभिक स्थिति में लौटें।
# बालासन
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले मैट बिछाकर एड़ी पर बैठ जाएं। अब, अपने कूल्हों को एड़ी पर टिकाएं, आगे झुकें, और अपने माथे को फर्श पर नीचे की ओर ले जाएं। अपनी बाहों को अपने शरीर के साथ फर्श पर रखें, हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। धीरे से अपनी छाती को अपनी जांघों पर दबाएं और कुछ मिनट के लिए इस स्थिति में रहें। इसके बाद, धीरे-धीरे पुनः सामान्य अवस्था में लौट आएं। अगर आप गंभीर पीठ या घुटने की चोट से जूझ रहे हैं तो इस आसन को ना करें। वहीं, गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन को करने से बचना चाहिए।
# नटराजसन
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं। इस दौरान, अपनी बाहों को हॉरिजॉन्टली फैलाएं। अब अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों को अपने कूल्हों के करीब लाएं। ध्यान रखें कि पैरों के तलवे पूरी तरह से जमीन पर हैं। घुटनों को बाईं ओर तब तक घुमाएं जब तक कि बायां घुटना जमीन को न छू ले। सिर को दाईं ओर मोड़ें और अपनी दाहिनी हथेली को देखें। हर बार सांस छोड़ने के साथ, इस पॉश्चर में रिलैक्स करें। अब कुछ मिनटों के बाद, दूसरी साइड से भी यही मुद्रा को दोहराएं। गर्भवती महिलाओं को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
# बितिलासन
अपनी पिंडलियों को ज़मीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानि कि अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज़ का रूप धारण करें। अपने घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें। अपनी कमर, कोहनियों तथा कंधों को भी एक लाइन में ज़मीन से सटा कर रखें। आपका धड़ ज़मीन के समानांतर हो। इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और अपने पेट को ज़मीन की तरफ अंदर खींचें। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में आ जाएँ।
# उत्थित त्रिकोणासन
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान, जितना हो सके अपने पैरों को फैलाएं। अपनी पीठ को सीधा रखते हुए, अपने हाथों को बगल की ओर फैलाएं। श्वास लें और धीरे-धीरे दाहिनी ओर झुकें, अपने दाहिने हाथ से अपने टखने को स्पर्श करें। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएं हाथ को देखें। अब धीरे से अपनी बॉडी को सामान्य अवस्था में ले आएं। इसके बाद, आप दूसरी साइड से भी इसी आसन का अभ्यास करें।
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