भोपाल में राजा भोज की मूर्ति का रहस्य जो आज तक किसी को नहीं पता

Update: 2024-06-25 10:01 GMT

भोपाल में राजा भोज की मूर्ति का रहस्य:- The mystery of Raja Bhoj's statue in Bhopal 

भोज (शासनकाल लगभग 1010-1055 ई.) एक भारतीय राजा थे जो कि परमार राजवंश के थे। उनका राज्य मध्य भारत में मालवा क्षेत्र His kingdom was in the Malwa region of central India. के आसपास केंद्रित था, जहां उनकी राजधानी धार-नगर स्थित थी। भोज ने अपने राज्य का विस्तार करने के प्रयासों में अपने लगभग सभी पड़ोसियों के साथ युद्ध लड़े,
जिसमें अलग-अलग सफलता मिली। अपने चरम पर, उनका साम्राज्य उत्तर में चित्तौड़ से लेकर दक्षिण में ऊपरी कोंकण तक और पश्चिम में साबरमती नदी से लेकर पूर्व विदिशा तक फैला हुआ था। भोज वस्तुतः चन्देल सम्राट विद्याधरवर्मन से पराजित हो उनके अधिकृत राजा थे। He was defeated by Vidyadharvarman and was their authorized king.
कहा जाता है कि वर्तमान मध्यप्रदेश के भोजपुर को राजा भोज ने ही बसाया था, तब उसका नाम भोजपाल नगर था, जो कि कालान्तर में भोजपुर हो गया। राजा भोज ने भोजपाल नगर के पास ही एक समुद्र के समान विशाल तालाब का निर्माण कराया था,
जो पूर्व और दक्षिण में भोजपुर के विशाल शिव मंदिर तक जाता था। आज भी भोजपुर जाते समय, रास्ते में शिवमंदिर के पास उस तालाब की पत्थरों की बनी विशाल पाल दिखती है। उस समय उस तालाब का पानी बहुत पवित्र और बीमारियों को ठीक करने वाला माना जाता था।
राजा भोज स्वयं बहुत बड़े विद्वान थे और कहा जाता है कि उन्होंने धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जो अब भी विद्यमान हैं। इनके समय में कवियों को राज्य से आश्रय मिला था। उन्होने सन् 1000 ई. से 1055 ई. तक राज्य किया। इनकी विद्वता के कारण जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई- कहाँ राजा भोज, कहाँ गांगेय, तैलंग। धार में भोज शोध संस्थान में भोज के ग्रन्थों का संकलन है।
 There is a collection of Bhoj's texts in the Bhoj Research Institute in Dhar.
जब भोज जीवित थे तो कहा जाता था- 
अद्य धारा सदाधारा सदालम्बा सरस्वती।
पण्डिता मण्डिताः सर्वे भोजराजे भुवि स्थिते॥
(आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पण्डित आदृत हैं।)
जब उनका देहान्त हुआ तो कहा गया -
अद्य धारा निराधारा निरालम्बा सरस्वती।
पण्डिताः खण्डिताः सर्वे भोजराजे दिवं गते ॥
(आज भोजराज के दिवंगत हो जाने से धारा नगरी निराधार हो गयी है ; सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं।)तिलक मंजरी ..Pandit is upset.) Tilak Manjari..
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