जानिए देवशयनी एकादशी व्रत के फायदे
इस साल देवशयनी एकादशी व्रत (Devshayani Ekadashi) 10 जुलाई दिन रविवार को कई दुर्लभ शुभ योगों में पड़ा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल देवशयनी एकादशी व्रत (Devshayani Ekadashi) 10 जुलाई दिन रविवार को कई दुर्लभ शुभ योगों में पड़ा है. देवशयनी एकादशी को पद्मनाभ एकादशी और हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी व्रत से भगवान विष्णु योग निद्रा में सो जाते हैं. इस बार देवशयनी एकादशी पर शुभ योग, रवि योग, शुक्ल योग, बुधादित्य योग, हंस योग जैसे कई दुर्लभ योग बने हैं. इस व्रत को करने से हर तरह के विघ्न और बाधा दूर होते हैं. इसके कई और भी लाभ हैं, जिनके बारे में श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी हमें बता रहे हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.
देवशयनी एकादशी व्रत के फायदे
1. देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और विष्णु पूजा करने से मन शुद्ध होता है और मानसिक विकार दूर होते हैं.
2. जो लोग विधिपूर्वक देवशयनी एकादशी व्रत रखते हैं, उनको पुण्य फल प्राप्त होता है. सेहत ठीक रहती है और शारीरिक कष्ट दूर होता है.
3. देवशयनी एकादशी व्रत मन और जीवन में मचे सभी प्रकार उथल-पुथल को शांत करता है और सुख एवं शाति प्रदान करता है.
4. देवशयनी एकादशी व्रत सिद्धियों को प्रदान करने वाला व्रत है.
5. इस व्रत को करने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है.
6. व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
7. देवशयनी एकादशी व्रत कथा सुनने मात्र से संकट कटते हैं और पाप भी नष्ट हो जाते हैं.
8. धन प्राप्ति की कामना है, तो देवशयनी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ही इस सृष्टि के पालनहार हैं. उनके आशीर्वाद से ही ये पूरी सृष्टि चल रही है. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरु हो जाता है. इस दौरान सभी धाम ब्रज में आ जाते हैं. इस वजह से चातुर्मास में ब्रज की यात्रा बहुत शुभ और लाभकारी मानी जाती है.
देवशयनी एकादशी व्रत का महात्म
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक राजा के राज्य में बारिश न होने से अकाल पड़ गई. उसकी प्रजा परेशान थी. भोजन के लिए त्राहि त्राहि मची हुई थी. तब राजा ने पूरी प्रजा के साथ देवशयनी एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. तब भगवान विष्णु की कृपा से बारिश हुई और अकाल की समस्या दूर हो गई.