ज्योतिष शास्त्र: जानिए किन लोगों के लिए मूंगा रत्न है, फायदेमंद
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों के महत्व के बारे में बताया गया है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति को मजबूत करने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए रत्नों के बारे में बताया गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में रत्नों के महत्व के बारे में बताया गया है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति को मजबूत करने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए रत्नों के बारे में बताया गया है. हर रत्न का प्रतिनिधि ग्रह होता है. अगर उस ग्रह के प्रभावों को बढ़ाना चाहते हैं, तो इन्हें धारण करना चाहिए. बता दें कि रत्न कभी भी अपने हिसाब से धारण न करें. इसे हमेशा ज्योतिष से सलाह के बाद ही धारण करें. अन्यथा इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.
ऐसे ही हम आज मूंगा रत्न के बारे में बताने जा रहे हैं. यह रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. कहते हैं कि कुंडली में मंगल की स्थिति सही करने के लिए मूंगा रत्न धारण करना चाहिए. मूंगा रत्न धारण करने से शारीरिक और मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. ज्योतिष की सलाह से अगर सही रत्ती का मूंगा धारण कर लिया जाए, तो उसे धनवान बनने में मदद मिलती है.
जानें किन लोगों के लिए मूंगा रत्न फायदेमंद रहता है-
कहते हैं कि मांगलिक दोष की समस्या से निजात पाने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए.
ज्योतिष अनुसार किसी जातक की कुंडली में मेष, वृश्चिक या फिर धनु और मीन राशि लग्न में होने पर मूंगा रत्न धारण करना शुभ होता है.
मेष और वृश्चिक मंगल ग्रह की राशि है. अतः इस राशि के जातक ज्योतिष की सलाह से मूंगा रत्न धारण कर सकते हैं.
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल अशुभ या नीच स्थान पर होने पर मूंगा रत्न धारण करना शुभ होता है.
किसी जातक में आत्मविश्वास की कमी होने पर मूंगा रत्न धारण करें. इससे आपको अपने अंदर बहुत फर्क नजर आएगा.
ज्यादा आलसी लोगों के लिए भी मूंगा रत्न पहनना लाभकारी होता है.
रत्न शास्त्र का कहना है कि मूंगा रत्न महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसे धारण करने से खून संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है.
मूंगा धारण करने की विधि
रत्न ज्योतिष के अनुसार मूंगा रत्न चांदी या सोने की अंगूठी में पहना जाता है. अंगूठी में सवा चार से सवा आठ रत्ती तक का मूंगा पहना जा सकता है. मूंगा की अंगूठी बनवाने के बाद इसे सोमवार के दिन गंगाजल और कच्चे दूध में डालकर रख दें. मंगलवार की सुबह इसे कच्चे दूध से निकाल लें और गंगाजल से धो लें. इसके बाद इसे अनामिका अंगुली में धारण करें.