Rakesh Rana: चढियार के कोस्टगार्ड कमांडेंट राकेश राणा पंचतत्त्व में विलीन

Update: 2024-10-13 09:58 GMT
Climber. चढियार। बैजनाथ उपमंडल के संसाई चढियार से ताल्लुक रखने वाले कोस्टगार्ड में कमांडेंट राकेश कुमार राणा की शहादत और बहादुरी की खबरें भारत के समाचार पत्रों में तो खूब प्रकाशित हुईं, लेकिन वीरभूमि हिमाचल के मीडिया में राकेश राणा के बलिदान की चर्चा न होने से क्षेत्र की जनता को उनकी प्रतिभा, साहस, वीरता और शहादत की सूचना से लंबे समय तक वंचित रहना पड़ा। दरअसल गुजरात के पोरबंदर में समंदर के पास मोटर टैंकर हरी लीला का एक क्रू मेंबर जख्मी था और दो सितंबर की रात करीब 11 बजे जहाज से जब भारतीय तटरक्षक बल को सहायता के लिए एमर्जेंसी कॉल आई, तो कोस्टगार्ड ने अपने एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर एएलएच 835 स्क्वाड्रन के पायलट कमांडेंट राकेश राणा के नेतृत्व में उनकी मदद के लिए भेजा। समंदर में गए हेलिकाप्टर को अत्यधिक खराब मौसम की वजह से एमर्जेंसी लैंडिंग करनी पड़ी और वह समंदर में गिर गया, जिस वजह से उसमें मौजूद कोस्टगार्ड के अधिकारी और जवान शहीद हो गए, जिसमें चालक दल के एक सदस्य को तो बचा लिया गया, जबकि दो अन्य के शव बरामद किए गए। दुर्घटना में मृतक चालक दल के दो सदस्यों की पहचान कमांडेंट (जेजी) विपिन बाबू और करण सिंह प्रधान नाविक के
रूप में हुई।

राकेश कुमार राणा को तटरक्षक बल नहीं ढूंढ पाया था। गत तीन सितंबर से भारतीय तटरक्षक बल को अरब सागर में उन्हें ढूंढने लगा हुआ था। गत 10 अक्तूबर को राकेश कुमार राणा का शव गुजरात के पोरबंदर से लगभग 55 किलोमीटर दूर अरब सागर में मिला। सीएसआईआर पालमपुर में सेवारत उनके चचेरे भाई प्रो. अरुण बरवाल ने बताया कि फौजी परिवार से संबंधित 39 वर्षीय कमांडर राकेश राणा का जन्म सूबेदार बलदेव सिंह राणा और मां मीरा राणा के घर सात नवंबर, 1985 को बैजनाथ के संसाई गांव में हुआ था। सशस्त्र बलों के माध्यम से राष्ट्र सेवा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राकेश देश की सेवा करने वाले चौथी पीढ़ी के सैनिक थे। जोधपुरसे स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2006 में भारतीय तटरक्षक बल में कमीशन प्राप्त किया था। अब वह तटरक्षक बल के पोरबंदर स्थित 835 स्क्वाड्रन के कमांडिंग आफिसर थे। राकेश राणा के परिवार में उनकी पत्नी सोनिया राणा और आठ साल की बेटी अमायरा राणा हैं। उनकी यूनिट ने शनिवार को सैन्य सम्मान के साथ कमांडेंट राकेश राणा को अंतिम विदाई दी। इस अवसर पर उनके परिवारजन पोरबंदर में मौजूद रहे। बैजनाथ क्षेत्र के नागरिकों और राणा परिवार को देश के लिए उनके द्वारा दिए गए सर्वोच्च बलिदान पर गर्व है।
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