पत्रकार हत्याकांड: आरोपी जमानत पर बाहर आए, लेकिन ये है हैरान करने वाली बात

सोशल मीडिया पर भी वायरल.

Update: 2024-10-13 11:30 GMT
नई दिल्ली: बेंगलुरु में पत्रकार गौरी लंकेश के हत्या आरोपियों के महिमामंडन ने भारतीय समाज में एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. लंकेश हत्याकांड के कुछ आरोपियों की रिहाई ने शहर में गहरा विवाद पैदा कर दिया. इनमें प्रमुख तौर पर पारसुराम वाघमोर और मनोहर यादव को लेकर विवाद है, जिनका शनिवार को कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा भव्य स्वागत किया गया.
विवादों के केंद्र में यह स्वागत समारोह न सिर्फ न्याज का हिस्सा बना, बल्कि सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है. हिंदुत्ववादी संगठनों ने आरोपियों को शॉल और माला पहनाई. इनके अलावा धार्मिक अनुष्ठानों का भी आयोजन किया गया. वहीं कालीकादेवी मंदिर में पूजा के अलावा शिवाजी महाराज की मूर्ति पर पुष्पमाला अर्पित की गई.
गौरतलब है कि, बेंगलुरु की सेशंस कोर्ट ने हाल ही में गौरी लंकेश हत्याकांड में शामिल आठ आरोपियों को जमानत दी है. इस साल सितंबर में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने चार अन्य आरोपियों को भी जमानत दे दी थी. इसके बाद 9 अक्टूबर को सेशंस कोर्ट ने बेल पर राहत दी थी, जिसके तुरंत बाद 11 अक्टूबर को वे जेल से रिहा कर दिए गए.
गौरी लंकेश भारतीय पत्रकारिता की एक प्रमुख आवाज थीं. उनकी हत्या पर देशभर में उबाल मचा था. वे कट्टर हिन्दुत्व विचारधारा की कड़ी आलोचक थीं. उनकी हत्या 5 सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर कर दी गई थी. यह मामला लंबे समय से कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बना हुआ है.
गौरी लंकेश हत्याकांड पर बड़ी बातें
पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर तीन बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी.
2023 दिसंबर में, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गौरी लंकेश हत्या मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत स्थापित करने का निर्देश दिया था.
गौरी कर्नाटक की वामपंथी विचारधारा वाली वरिष्ठ पत्रकार थीं, जो कट्टर हिंदुत्व प्रथाओं की कट्टर आलोचक थीं.
हत्या के आरोपियों को 9 अक्टूबर को बेंगलुरु सेशन कोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी.
आरोपियों को 11 अक्टूबर को प्रप्पाबा अग्रहारा जेल से रिहा किया गया था.
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