नींद पूरी न होने से बच्चों को क्या है नुकसान
लगभग दो-ढाई सालों तक ऑनलाइन क्लॉसेज की वजह से पढ़ाई के बहाने ब
अब तक ऐसा माना जाता था कि बचपन बहुत बेफ्रिक होता है, लेकिन समय के साथ बदलती जीवनशैली ने बच्चों से उनका चैन छीन लिया है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए गए एक शोध से यह तथ्य सामने आया है कि कोविड काल के बाद बच्चों के सोने-जागने के तरीके में काफी बदलाव आया है, जो उनकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह है।
क्यों हो रहा है ऐसा?
लगभग दो-ढाई सालों तक ऑनलाइन क्लॉसेज की वजह से पढ़ाई के बहाने बच्चे मोबाइल और टैबलेट के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगे। स्कूल खुलने के बाद भी उनकी यही आदत बरकरार रही। परिवार का माहौल भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है। रोते हुए बच्चों को बहलाने के लिए पेरेंट्स उन्हें मोबाइल पकड़ा देते हैं। जिससे छोटी उम्र से ही देर रात तक जागकर मोबाइल पर गेम्स खेलना उनकी आदत बन जाती है। इसके अलावा पढ़ाई के बोझ और पीयर प्रेशर के कारण भी कुछ बच्चों को अकेलापन, उदासी और तनाव जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं परेशान करने लगती हैं, जिससे उन्हें रात को नींद नहीं आती। कुछ परिवार में माता-पिता खुद देर रात तक जगे होते हैं इसलिए बच्चों को भी नींद नहीं आती। फिर सुबह उन्हें अधूरी नींद से जागकर स्कूल जाने के लिए तैयार किया जाता है।
क्या है नुकसान
नींद पूरी न होने के कारण बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है और उनकी स्मरण शक्ति भी कमजोर होने लगती है। जो बच्चे देर रात तक जागते हैं, डिनर के बाद उन्हें दोबारा भूख लग जाती है। इस दौरान वे चॉकलेट, आइसक्रीम और वेफर्स जैसी चीज़ें खाते हैं। इससे उनमें ओबेसिटी और जुवेनाइल डायबिटीज जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। आजकल अधिकतर बच्चे अपना ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बिताते हैं जिससे उनकी आंखें कमजोर होती जा रही है। घर से बाहर निकलकर खेलने के बजाय बच्चे हमेशा अपने कमरे में मोबाइल के साथ व्यस्त रहते हैं इसलिए वे सूरज की रोशनी में मौजूद विटामिन डी के पोषण से वंचित रह जाते हैं। उनकी हड्डियों का विकास सही ढंग से नहीं होता और जोड़ों में दर्द की समस्या भी परेशान करने लगती है।
कैसे करें बचाव
- उनकी स्क्रीन टाइम में कटौती करें और अपने परिवार में यह नियम बनाएं कि डनर से पहले सभी सदस्य अपने मोबाइल साइलेंट मोड पर रखेंगे।
- डिनर के बाद बच्चों को अपने साथ वॉक पर जरूर लेकर जाएं। इसके बाद उन्हें अच्छी नींद आएगी।
- बच्चों को बेड टाइम स्टोरी सुनाएं और उनमें अच्छी किताबें पढ़ने की आदत विकसित करें।
- यह सुनिश्चित करें कि परिवार के सभी सदस्य रात आठ बजे तक डिनर के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ जाएं, तभी आपके बच्चों को आठ घंटे की नींद मिल पाएगी।