खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए रोजाना खाए आधा कप अखरोट, जाने अनेक फायदे

एक हालिया अध्ययन के मुताबिक आधा कप अखरोट अपने दैनिक आहार में शामिल करने से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर लगभग 8.5 प्रतिशत कम हो सकता है और हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है।

Update: 2021-09-02 10:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक हालिया अध्ययन के मुताबिक आधा कप अखरोट अपने दैनिक आहार में शामिल करने से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर लगभग 8.5 प्रतिशत कम हो सकता है और हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है।

हॉस्पिटल क्लिनिक डी बार्सिलोना के शोधकर्ताओं ने 628 वयस्क प्रतिभागियों को अध्ययन में शामिल किया। उनमें से आधे प्रतिभागियों को ऐसा आहार दिया गया, जिसमें दैनिक अखरोट का सेवन शामिल था। दो साल बाद टीम ने पाया कि अखरोट का सेवन करने वाले प्रतिभागियों के लॉ-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी मामूली कमी आई।
अधिक कॉलेस्ट्रॉल से हृदय रोग का जोखिमः
एलडीएल के उच्च स्तर को 'खराब कोलेस्ट्रॉल' भी कहा जाता है। इसकी अधिकता हृदय रोग और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से संबंधित है। अध्ययन में भाग लेने वाले जिन प्रतिभागियों ने रोजाना अखरोट का सेवन किया, उनके रक्त में एलडीएल कणों की कुल संख्या और विशेषरूप से छोटे एलडीएल कणों की संख्या दोनों में कमी देखी गई।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड अधिक होता है। यह ऑइली मछली में पाया जाने वाला स्वस्थ वसा है। स्पेन में अस्पताल क्लिनिक डी बार्सिलोना के पोषण विशेषज्ञ एमिलियो रोस ने कहा कि पहले के अध्ययनों से पता चला है कि सामान्य रूप से नट्स, खासकर अखरोट, हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने से जुड़े हैं। अब हालिया अध्ययन में यह भी पता चला है कि अखरोट का सेवन एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं और एलडीएल कणों की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
मशहूर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला के निधन से सभी सकते में हैं। 'झलक दिखला जा 6', 'फियर फैक्टर: खतरों के खिलाड़ी 7' में उनकी फिटनेस को देख चुके लोगों के लिए यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि इतना फिट व्यक्ति भी इस घातक आघात का शिकार हो सकता है। सिद्धार्थ शुक्ला अभी सिर्फ 40 वर्ष के थे। बृहस्पतिवार को सुबह जब उन्हें मुंबई के कूपर अस्पताल ले जाया गया, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी और इसका कारण हृदयाघात (Heart attack) बताया जा रहा है।
इस खबर के साथ ही लोगों के मन में सवाल आने लगा है कि क्या युवा और फिटनेस फ्रीक भी हार्ट अटैक के शिकार हो सकते हैं? इसके लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में सीटीवीएस प्रमुख और निदेशक डॉ. उद्गीथ धीर से बात की। आइए उन्हीं से जानते हैं 40 की उम्र में हार्ट अटैक के बढ़ते जोखिम के बारे में सब कुछ।
क्या हो सकते हैं 40 की उम्र में हार्ट अटैक के कारण
डॉ. उद्गीथ धीर दिल की कार्यप्रणाली समझाते हुए कहते हैं, "दिल पूरे शरीर में खून पहुंचाने के साथ-साथ खुद को भी खून पहुंचाता है। इसके लिए दिल में 3 कोरोनरी धमनियां होती हैं।
जब इन 3 में से किसी एक या तीनों धमनियों में खून की आपूर्ति में अचानक 75% से ज़्यादा की कमी आ जाए, तो इसे दिल का दौरा कहा जाता है। इस अवस्था में दिल की मांसपेशियों में खून की आपूर्ति कम हो जाती है, टेक्नीकल भाषा में इसे एक्यूट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (acute myocardial infarction) कहा जाता है, जिसे आम भाषा में हम दिल का दौरा कहते हैं।"
इसका मतलब है कि खून या अप्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में सही मेल न होने पर दिल का दौरा पड़ सकता है। चिंता, बहुत ज़्यादा धूम्रपान या शराब पीने, बहुत ज़्यादा व्यायाम या जिमिंग करने या किसी दूसरी वजह से दिल की मुख्य धमनियों में अचानक खून का थक्का बनने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है।
कैसे हो सकता है निदान
डॉ. धीर सुझाव देते हैं कि दिल का दौरा पड़ने की बात सुनिश्चित होने के बाद इको, ब्लड टेस्ट, एंजियोग्राफी जैसे विभिन्न तरीकों से पता लगाया जाता है कि धमनी में किस तरह की रुकावट है। रुकावट का पता चलने के बाद दवाईयों, ब्लड थिनर, स्टेंटिंग या सर्जरी जैसे तरीकों से इसका इलाज किया जाता है। इलाज होने के बाद मरीज़ को फिर से ठीक होने में समय लगता है। इसलिए रिकवरी के दौरान हमें अपने व्यायाम प्रोटोकॉल पर बहुत ध्यान देना होगा।





Tags:    

Similar News

-->