लाइफस्टाइल: दुकानदार संजय गुप्ता बताते हैं कि टिकरी का इतिहास130 साल से भी अधिक पुराना है. टिकरी का वैसे तो ये बलिया के अलावा और जगहों पर मिलता होगा. लेकिन ये स्वाद कहीं नहीं मिलती हैं. जब भी कोई इधर से होकर गुजरता है तो यहां से टिकरी खरीदना नहीं भूलता. बलिया से सटे अन्य जिले के साथ विदेशों तक भी ये टिकरी काफी फेमस है. यहीं नहीं पूर्वज बताते थे कि यहां के स्वाद के अंग्रेज भी दीवाने थे.
ये है टिकरी का इतिहास
संजय गुप्ता ने आगे कहा कि टीकरी बनाने की शुरुआत हमारे बाबा स्वर्गीय वंशरोपन जी के पिता जी ने की थी. जो अपने स्वाद के कारण कालांतर में इतना मशहूर हो गई. इस दुकान के टिकरी की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई. अब यह दुकान को छठी पीढ़ी पर चला रहा हूं.
इस कीमत पर मिलती है मशहूर टिकरी
अगर आप टिकरी के बारे में नहीं जानते हो तो इसे गुलाब जामुन ही समझ लीजिए. इसका रंग रूप काफी हद तक गुलाब जामुन से मिलता है. ये टिकरी बहुत महंगी भी नहीं होती है. इसका कीमत 150 रुपये प्रति किलो है.कई ग्राहक (शंकर जी गुप्ता, रविन्द्र सिंह व जटली यादव) तो ऐसे मिले जो इस मिठाई के स्वाद के वर्षों से दीवाने हैं. ग्राहकों ने बताया कि ऐसा मिठाई और कहीं नहीं मिलता हैं. इसका स्वाद ऐसा है कि हर किसी को दीवाना बना दे.
‘बचपन का फल ‘
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कैसे पहुंचे इस दुकान पर
बलिया जनपद के रेलवे स्टेशन से ऑटो या अन्य वाहन पकड़कर एनएच 31 से होते हुए. लगभग 26 किलोमीटर आगे रामगढ़ ढाले पर स्थित हनुमान मंदिर के ठीक पीछे मशहूर वंशरोपन टिकरी भंडार की प्राचीन दुकान है. जहां पहुंचकर आप भी टिकरी के लाजवाब स्वाद का मजा ले सकते हैं.