Self care: अपनाएं ये टिप्स स्ट्रेस रहेगा कोसों दूर

Update: 2024-08-13 10:15 GMT
Self care tips स्वयं की देखभाल के सुझाव: सेल्फ केयर यानी खुद की देखभाल आपके लिए भी जरूरी है। ऐसा करना कहीं से भी स्वार्थी होना नहीं है। इस बात को स्वीकारिए कि जब तक आप खुद की देखभाल नहीं करेंगी, तब तक दूसरों का ध्यान भी नहीं रख पाएंगी। खुद की देखभाल से जुड़े अपराध बोध से बाहर निकलिए और खुद से प्यार करना सीखिए। आप खुश और संतुष्ट रहेंगी तो उसका सकारात्मक असर आपकी जिंदगी से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी पर पड़ेगा। अच्छी मानसिक सेहत के लिए कैसे करें खुद की बेहतर देखभाल, आइए जानें:
मी-टाइम से दूर रहेगा तनाव-
सोच कर देखिए, अंतिम बार आपने कब अकेले अपनी पसंद का कोई काम करते हुए वक्त बिताया था? जिंदगी में बच्चे के आने के बाद ऐसा हो पाना तो और भी मुश्किल हो जाता है। पर, इस बात को स्वीकारिए कि आपके दिमाग को भी आराम की जरूरत है। कोई हॉबी विकसित कीजिए और उसे नियमित रूप से करें। कुछ और नहीं तो अपनी पसंदीदा चाय या कॉफी बनाएं और बाहर बालकनी में बैठकर यूं ही आसमान को निहारते हुए चुस्कियां लें। नियमित रूप से 
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 निकालना खुद की देखभाल की दिशा में आपका पहला कदम साबित होगा। अपने लिए वक्त की कमी के कारण जिंदगी में तनाव बढ़ता है, जो डायबिटीज और दिल की सेहत से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता चला जाता है। आप तनाव से दूर रहेंगी तो आपको नींद भी अच्छी आएगी, जिसका आपके संपूर्ण सेहत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। अगर अपने लिए वक्त निकालना बहुत मुश्किल हो रहा है, तो बच्चे के साथ ही उसकी ही हॉबी क्लास को ज्वॉइन कर लें। पेंटिंग, कराटे, स्केटिंग आदि बच्चा जो भी कर रहा है, आप भी उसके साथ करने लगिए। आपको मजा आएगा और मन भी पूरी तरह से रिफ्रेश हो जाएगा।
घर का काम नहीं है व्यायाम-
घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों के बीच खुद को अनदेखा करना हम महिलाओं की आदत है। पर, इस बात को समझें कि दिन भर अपने बच्चे के पीछे-पीछे भागना या घर के तमाम काम करना ना तो व्यायाम का विकल्प है और ना हो सकता है। व्यायाम का मतलब है, कम-से-कम 45 मिनट तक लगातार कोई शारीरिक गतिविधि करना, इस दौरान कैलोरी का बर्न होना और हृदय की गति का तेज होना जरूरी है। व्यायाम को अपने रुटीन का हिस्सा बनाएं। इससे ना सिर्फ आपकी
शारीरिक
सेहत दुरुस्त रहेगी बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी व्यायाम जरूरी है। व्यायाम करने से शरीर में एंडॉर्फिन हार्मोन का स्राव बढ़ता है। इसे हैप्पी हार्मोन भी कहते हैं, जिससे मन खुश रहता है।
सीखें ना कहना भी-
हम सभी अपने आसपास के लोगों को हमेशा ही खुश देखना चाहते हैं। इसलिए उन्हें ना बोलना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में फोन पर ना बोलना एक आसान तरीका हो सकता है। अगर आपको इसमें भी दिक्कत आ रही है तो यह सोचें कि सामने वाले को ना बोलकर हम खुद को हां बोल रहे हैं। अगर किसी के लिए कुछ करके आप सारा दिन परेशान रह रही हैं, तो ऐसे में बेहतर यह होगा कि आप उस व्यक्ति को उस काम के लिए मना करके कम-से-कम खुद खुश रहें। किसी को ना बोलने से पहले यह भी सोचें कि क्या आपके अलावा वह काम कोई और कर सकता है? अगर जवाब हां, है तो बिना झिझक के सामने वाले को मना करें। क्या आपके ना कहने से कुछ बुरा हो जाएगा? अगर नहीं, तो भी आराम से ना बोलें।
शुरू करें मन की बातों को लिखना-
आपके मन में ढेरों भाव और बातें आती हैं। पर, क्या आप उनका जाहिर कर पाती हैं? घर के किसी सदस्य की कही बातें चुभ गई हैं, तो क्या उन्हें स्पष्ट तौर पर कह पाती हैं? ऑफिस के गॉसिपिंग का सामने आ कर सामना कर पाती हैं? जवाब अगर ना है, तो मन को चुभने वाली इन बातों को नियमित रूप से एक डायरी में लिखना शुरू करें। अच्छी मानसिक सेहत में जर्नलिंग एक उपयोगी टूल साबित होता है। जर्नलिंग यानी मन की बातों को लिखना। इससे परेशान करने वाली बातों को जाहिर करने का जरिया मिलेगा औरआप तनाव से दूर रहेंगी।
भावनात्मक लक्षण-
• लगातार चिंता
• नर्वस महसूस करना
• चिड़चिड़ापन
• मूड स्विंग
• गुस्सा
• अकसर छाने वाली उदासी
• उन गतिविधियों के प्रति अरुचि जो पहले पसंद थीं
• उदासीन महसूस करना
• दैनिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में भी दिक्कत महसूस करना
• ध्यान करने में परेशानी
• बार-बार भूलना
• निर्णय लेने की क्षमता में कमी महसूस करना
Physical Symptoms-
• सिरदर्द ’शरीर दर्द
• नींद से जुड़ी परेशानियां
• पाचन तंत्र से जुड़ी गड़बड़ी
• बार-बार बीमार पड़ना
• उच्च रक्तचाप की समस्या व्यवहारगत लक्षण
• खानपान संबंधी आदतों में बदलाव
• नशे की लत ’लोगों से मिलना-जुलना कम या बंद करना
• जिम्मेदारियों से बचना
• नाखून चबाना या बहुत तेज-तेज चलना
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