बेटियों के लालन-पालन में माता-पिता न करें गलतियां, खरीद में न करें कोई भेदभाव
महिलाओं के अधिकारों की बात करने के लिए हर साल हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं. लेकिन आज भी समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है. आधुनिक समाज में हालांकि माता-पिता कोशिश करते हैं कि वो अपने बेटे-बेटियों को समान अधिकार दें और उनके लालन-पालन में कोई भेदभाव न करें. बावजूद इसके, बेटियों की परवरिश में माता-पिता अनजाने में ही कई गलतियां कर बैठते हैं. आज हम आपको ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें बेटी के लालन-पालन के दौरान करने से बचना चाहिए.
बेटी के लिए केवल गुड़िया और मेकअप किट खरीदना
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि खिलौनों के आधार पर बेटी-बेटा में बड़ा फर्क किया जाता है. लड़की है तो गुड़िया से खेलेगी और लड़का है तो उसे टॉय गन या वीडियो गेम आदि खेलने के लिए दिया जाता है. खिलौनों की दुकान पर भी यदि हम छोटी बच्ची के लिए किसी खिलौने की मांग करते हैं तो वो या तो ज्वैलरी सेट देते हैं, गुड़िया देते हैं या किचन सेट दे देते हैं. ये बहुत गलत है. बच्चा किस खिलौने से खेलेगा, ये उसकी पसंद-नापसंद पर निर्भर करता है. बच्चे की लिंग को लेकर इस तरह का भेदभाव करने से बचना चाहिए. हम बचपन से ही लड़कियों को एक सांचे में ढालने की कोशिश करते हैं.
केवल बेटी को किचन का काम सिखाना
सभी इंसानों को जिंदा रहने के लिए खाना बेहद जरूरी है इसलिए अपने बेटे-बेटी दोनों को खाना बनाना सिखाना चाहिए. किचन का काम करना केवल लड़कियों के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि लड़कों को भी ये काम सीखना चाहिए. आजकल के समय में ज्यादातर लड़कियां वर्किंग होती हैं, ऐसे में केवल उन्हें किचन का काम सिखाने पर जोर नहीं देना चाहिए. आपकी परवरिश का ये फर्क बाद में बच्चों की शादीशुदा जिंदगी पर भी असर डालेगा.
बेटी के सामने न करें किसी तरह का फर्क
कई बार ऐसा देखा जाता है कि अगर भाई-बहन कोई गेम खेल रहे हैं और भाई ने कोई चीटिंग की तो माता-पिता बेटी से कहते हैं कि वो भाई की चीटिंग को माफ कर दे क्योंकि वो लड़का है. वो लड़की है तो उसे लड़ाई करना शोभा नहीं देता. ये बेहद गलत है. इसका लड़की पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. माता-पिता को चाहिए कि बेटा-बेटी किसी की भी गलती होने पर उसे प्यार से समझाए, न कि बेटे को सही साबित करे. बचपन से ही अपने बच्चों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए.
लड़की क्या खेलेगी- ये उसे तय करने दें
कई माता-पिता अपनी बच्चियों को क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी आदि खेल खेलने से ये कहकर रोकते हैं कि ये तो लड़कों का खेल है. इससे लड़की का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है. लड़की कौन सा खेल खेलेगी, ये उसे तय करने दे. खेलों में किसी तरह का भेदभाव न करें और बच्ची की रूचि के हिसाब से उसे अपना बचपन जीने दें.
बच्ची देर से बोलना शुरू करे तो परेशान न हों
ऐसा माना जाता है कि लड़कों की तुलना में लड़कियां ज्यादा जल्दी बोलना शुरू करती हैं. लेकिन अगर आपकी बेटी जल्दी बोलना शुरू नहीं कर रही तो परेशान न हों बल्कि उसे थोड़ा समय दें. कुछ मामलों में लड़कियां देर से बोलना शुरू करती हैं, तो घबराएं नहीं.