किस पटरी पर चलेगी ट्रेन.... ड्राइवर को कैसे पता चलता है? आइए जानते

पता चलता है? आइए जानते

Update: 2023-08-23 09:21 GMT
भारतीय ट्रेन दुनियाभर में काफी फेमस है, जिसका इस्तेमाल शहर के दूर-दराज के इलाके में जाने के लिए किया जाता है। ट्रेन से पहाड़ों में जाने का अपना अलग ही मजा है...ठंडी-ठंडी हवा और खिड़की वाली सीट का सफर यादगार न बने ऐसा हो ही नहीं सकता... साथ में चाय की पिलायी हो तो मजा दोगुना बढ़ जाता है।
पर सच बताइए.. कि कभी ट्रेन में बैठने के बाद आपके मन में यह सवाल आया है कि एक ट्रेन ड्राइवर पटरी कैसे ढूंढता होगा? कैसे पता चलता है कि कहां मुड़ना है? किस जगह रूकती है....ट्रेन के इंजन में कौन-सा तेल डाला जाता है? एक इंजन कितने किलोमीटर तक चल सकता है? हालांकि,जब हम ट्रेन में बैठते हैं, तो हमारे सवालों के जवाब खुद ही मिल जाते हैं।
ऐसे में अगर कुछ पता नहीं चल पाता वो है कि जब एक ड्राइवर ट्रेन कैसे चलाता है और हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने का काम कैसे करते हैं। उन्हें पथरों और पटरी से भरे जंगल में सही रास्ता पता कैसे लगता है। अगर आपको भी नहीं पता तो यह लेख आपके काम आ सकता है।
यह सवाल यकीनन आपके मन में भी होगी कि कैसे ट्रेन अपनी मंजिल तय करती है? देखिए ट्रेन पटरियों पर चलती है और पटरियों को नेविगेट करने के लिए ट्रेन ड्राइवर सिग्नल, ट्रैक स्विच और शेड्यूल के अनुसार ट्रेन चलता है। (भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन)
ड्राइवर को ट्रैक स्विच करने की अनुमति दी जाती है और वो शेड्यूल के अनुसार पटरियां बदलते हैं और इस बात को जानते हैं कि कौन-सा रूट लेना है और कब रुकना है। ये तमाम सुविधा इंजन में दी जाती हैं, जिसे मैन लाइन से कनेक्ट किया जाता है।
ट्रेन ड्राइवरों को कैसे पता चलता है कि कब धीमा करना है? 
ट्रेन का सफर शुरु करने से पहले ड्राइवर पूरे ट्रैक यानी मैप को चेक करता है कि ट्रेन को कब और कहां लेकर जाना है। ट्रैक के किनारे सिग्नल लाइटें लगी होती हैं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि ट्रेन को कहां रोकना है, कब धीमी स्पीड करनी है और किस वक्त ट्रेन को थोड़ी देर के लिए रोकना है। यह सब पटरी पर लगी लाइट्स और सिग्नल से पता चलता है।
ट्रेन ड्राइवर रात में कैसे चलाते हैं? 
अब सवाल यह है कि एक ड्राइवर ट्रेन को रात में कैसे चलाता है? रात में तो अंधेरा होता है...पटरी पर ट्रेन कैसे चलती है? देखिए अंधेरे के लिए ड्राइवर हेडलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं और ट्रैक पर ध्यान लगाने के लिए दो ड्राइवर को रखा जाता है और इंजन के तमाम सिंगल चेक किए जाते हैं और सिग्नल के हिसाब से ट्रेन को चलाया जाता है।
ट्रेन का इंजन स्टार्ट होने में कितना डीजल खाता है? (Which engine is used in train)
वैसे तो इंजन को स्टार्ट करने के लिए डीजल की सही मात्रा का अनुमान लगाना आसान नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि एक बार इंजन को स्टार्ट करने में लगभग 25 लीटर तेल की लागत लगती है। वहीं, एक किलोमीटर इंजन चलाने के लिए 15 लीटर तेल लगता है।
पर आजकल इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल किया जाने लगा है। अगर इंजन की कीमत पर बात करें तो 1 इंजन की कीमत 18-20 करोड़ रुपए होती है। (रेलवे के ये पांच नियम आपके बहुत आ सकते हैं काम)
ट्रेन कितने लोग चलाते हैं?
वैसे तो एक ही ड्राइवर ट्रेन चलाने के लिए काफी है, लेकिन माल ढुलाई को चलाने के लिए दो चालक दल के सदस्यों , एक कंडक्टर और एक इंजीनियर के साथ संचालित होती है। वहीं, ट्रेन को चलाने के लिए कम से कम 10वीं पास के साथ ITI करना जरूरी है। साथ ही, मैकेनिकल, वायरमैन आदि ट्रेड में आईटीआई सर्टिफिकेशन या डिप्लोमा भी जरूरी है।
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