अपनी डाइट में जरूर शामिल करें ये न्यूट्रीशियस फूड

Update: 2023-07-09 13:48 GMT
बॉडी का मेटाबॉलिक रेट हर 10 साल में कम हो जाता है जिससे एनर्जी लेवल कम हो जाता है। 30 साल पार होने पर मेटाबॉलिक रेट और इम्युनिटी (बीमारियों से बचाने की क्षमता) दोनों में कमी आती है। इसके अलावा चेहरे का ग्लो कम होने लगता है और बाल झड़ते हैं। इसलिए तीस की उम्र के बाद एक्सरसाइज के अलावा न्यूट्रीशियस फूड खाना भी जरूरी है ताकि बॉडी को आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम जैसे न्यूट्रिएंट्स मिल सकें। खानपान पर यदि पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर आंतरिक रूप से ताकतवर बन जाता है। आइए आज जानते हैं हम कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन करना चाहिए...
* लो फैट डेयरी उत्पाद :
कम फैट वाले डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, छाछ आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसीलिए पुरुषों को इनका नियमित सेवन करना चाहिए। एक कप दूध से लगभग 8 मि।ग्रा। कार्निटिन मिलता है। दूध से बनी चीजों में कैल्शियम, विटामिन-ए जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
* ओट्स :
यह, फाइबर लेने का सबसे अच्छा तरीका है। इसमें घुलने वाला और न घुलने वाला दोनों ही तरह का फाइबर होता है। यह सिर्फ नाश्ते में ही नहीं, बल्कि कई तरह से अपने आहार में शामिल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से आप ओट्स डोसा या उत्तपम भी बना सकते हैं। 100 ग्राम ओट्स में 1।7 ग्राम फाइबर होता है।
* फल :
वैसे तो हेल्थ के लिए ताजे, मौसमी फलों का कोई तोड़ नहीं है। लेकिन अगर बात दिल के स्वास्थ्य की करें, तो अनार, केला, सेब, बेरी जैसे साइट्रस फलों के सेवन सबसे बढ़िया माना गया है। इनमें एंटी-ऑक्सिडेंट्स, फ्लैवनॉइड्स, पॉलीफेनोल और विटामिन होते हैं। वैसे तो साइट्रस फलों का लोग जूस पीना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन अगर इन्हें साबुत खाया जाए तो इनका फाइबर हमारे पेट को भी साफ रखता है।
* दाल :
प्रोटीन की मात्रा रखने वाली दाल में फाइबर भी होता है। अगर कभी आपका मन सिर्फ दाल खाने का न करें, तो इसे आप सूप या सैलेड में भी डाल सकते हैं। फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाने वाली दाल आपके एनर्जी के लेवल को बढ़ाती है। साथ ही इसकी पेट में पचने की क्रिया भी काफी धीरे होती है, जिससे आपकी एनर्जी लंबे समय तक के लिए बनी रहती है।
* दही :
दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जिनसे शरीर में वैसे बैक्टेरिया का विकास होता है जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। दही खाने की सलाह केवल गर्मियों में ही नहीं बल्कि सर्दियों में भी दी जाती है। हालांकि बारिश के मौसम में इनमें कीड़े पनपने की आशंका के चलते दही से दूरी बना ली जाए तो बेहतर होगा।
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