एक निजी सवाल: क्या आप अक्सर पेट के भारीपन, गैस और अन्य पाचन-संबंधी समस्याओं से परेशान रहती हैं? हो सकता है कि इसके पीछे आप नहीं, बल्कि आपका पालक पनीर हो. ये आहार किसी निश्चित कॉम्बिनेशन में खाने से ये नुक़सान पहुंचा सकते हैं. फेमिना ऐसे ही शरारती जोड़ों की खोज कर रही है.
हमारी संस्कृति खाद्य पदार्थों का संयोजन तय करती है, जिनमें से कुछ तो स्पष्ट रूप से लाजवाब हैं. खजूर के साथ दूध, नारियल के साथ चावल और दालों के साथ दही ये संयोजन बेहतरीन तरीक़े से एक-दूसरे का साथ निभाते हैं और भोजन के संपूर्ण पोषण को बढ़ाते हैं. लेकिन सबकुछ जो हमारी संस्कृति में कहा जाता है या स्वाद बढ़ाता है, ज़रूरी नहीं है कि हमारे शरीर के लिए अच्छा ही हो. आमतौर पर मेक्सिकन और भारतीय कुकिंग में इस्तेमाल होनेवाला पनीर-पालक, बीन्स-चीज़ और दही-फल का संयोजन अच्छी पाचन क्रिया के मार्ग में रोड़ा बन सकता है. आइए दोषियों की सूची को देखें और जाने कि आपके भोजन में वह कौन-सी चीज़ है, जो आपको खाने के बाद अच्छा महसूस नहीं कराती.
हानिकारक जोड़ी: आम और खीरा
गर्मियों में फलों का राजा आम हर घर में ख़ूब खाया जाता है. वहीं खीरा अपनी ठंडक पहुंचानेवाले गुणों के लिए जाना जाता है. लेकिन ये दोनों एक साथ कारगर नहीं हैं. सुमन अगरवाल, न्यूट्रीशनिस्ट, सेल्फ़केयर, मुंबई, बताती हैं,‘‘चूंकि आम एक फल है और खीरा सब्ज़ी, इसलिए इनके पाचन के लिए अलग-अलग एन्ज़ाइम्स की ज़रूरत होती है, जो एक-दूसरे को प्रभावहीन बना देते हैं. इस प्रक्रिया में ये गैस या पेट में भारीपन पैदा कर सकते हैं.’’ जब तक कि ये एक ही भोजन का हिस्सा न हों आप इनका लुत्फ़ उठा सकते हैं.
हानिकारक जोड़ी: डेयरी प्रॉडक्ट्स और पालक
क्या पालक पनीर का ख़्याल आपके भी मुंह में पानी ले आता है? लेकिन पालक और पनीर के गुणों का लाभ उठाने के लिए दोनों को अलग-अलग खाना ही बेहतर होगा. पनीर जैसे डेयरी प्रॉडक्ट्स में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है. लेकिन डेयरी प्रॉडक्ट्स को जब पालक के साथ मिलाया जाता है या ये दोनों एक ही भोजन का हिस्सा होते हैं तो उनके कैल्शियम का गुण नष्ट हो जाता है. सुमन बताती हैं,‘‘पालक में ऑक्सैलिक एसिड होता है, जो शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने से रोकता है.’’ अगली बार पालक का संयोजन दालों और मशरूम के साथ करें और पनीर का मटर के साथ.
हानिकारक जोड़ी: दूध और दालें
भुने हुए बीन्स, सिरीअल और दूध के साथ बना ब्रेकफ़ास्ट आपका मित्र नहीं हो सकता. दूध का पाचन पेट के बजाय ड्यूडेनम (छोटे इन्टेस्टाइन का एक हिस्सा) में होता है. दूध भोजन का एक संपूर्ण और सांद्रित (कॉन्सन्ट्रेटेड) रूप है, जिसे अलग प्रकार की पाचन प्रक्रिया की ज़रूरत पड़ती है. दूसरी ओर दलहनों में ऑलिगोसैकराइड, एक प्रकार की शक्कर जिसे पचाना मुश्क़िल होता है, शामिल होते हैं. इसलिए इन दोनों का साथ में सेवन करने से पाचन प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है. सुमन कहती हैं,‘‘जब दूध और दलहन को साथ में मिलाया जाता है तो पाचन प्रक्रिया में बाधा पैदा होती है और इससे गैस बन सकती है.’’ दूध की जगह दही, जिसमें आंतों के लिए अच्छे प्रोबायोटिक्स होते हैं, खाएं. ये भोजन के पाचन को सरल बनाते हैं.
हानिकारक जोड़ी: दही और खट्टे फल
फ्रोज़न दही के ब्रैंड्स स्वाद बढ़ानेवाले विभिन्न फ़्लेवर्स बेच कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. हालांकि दही और फल दोनों ही स्वास्थ्यकर हैं, लेकिन दोनों का साथ में सेवन करना सेहतमंद नहीं है. मनीषा अरोरा, हेड न्यूट्रीशनिस्ट, थ्री ग्रेसेस, दिल्ली, बताती हैं,‘‘कीवी और ऑरेंज जैसे खट्टे फलों को दही के साथ खाने से जठाराग्नि (पेट में पाचन की अग्नि) मंद हो जाती है.’’ इससे बचने के लिए खट्टे फलों को दही के साथ सामान्य तापमान पर मिलाएं और हल्की गर्माहट व पाचन प्रणाली को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए दालचीनी या शहद मिलाएं.
हानिकारक जोड़ी: दूध और ऐंटीबायोटिक्स
एक ग्लास दूध के साथ ऐंटीबायोटिक्स लेना बेहद आम आदत है, लेकिन यह अच्छी बात नहीं है. मनीषा बताती हैं,‘‘ऐंटीबायोटिक्स को प्रभावी होने के लिए उनका गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट में शोषित होना ज़रूरी है, जहां से वे रक्त प्रवाह में शामिल होने के लिए रास्ता बनाते हैं. डेयरी प्रॉडक्ट्स में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है, जो ऐंटीबायोटिक्स से बंध जाता है और आंत को उन्हें अवशोषित करने से रोककर, दवा को प्रभावहीन बनाता है.’’ दही जैसा प्रोबायोटिक फ़ॉर्म्यूलेशन ऐंटीबायोटिक की मदद कर सकता है और आंत में अच्छे बैक्टीरिआ का निर्माण कर सकता है, जो दवाईयों के प्रभाव से मर जाते हैं.
हानिकारक जोड़ी: बीन्स और चीज़
भुने हुए बीन्स और चीज़, बरीटो के लिए बेहतरीन भरावन तैयार करते हैं, लेकिन प्रोटीन-समृद्घ आहार पाचन प्रक्रिया को धीमा कर शरीर की ऊर्जा को अधिक ख़र्च कर सकते हैं. तरनजीत बताती हैं,‘‘आपका शरीर प्रोटीन में से केवल अमिनो एसिड्स, वो भी न्यूनतम मात्रा में शोषित करता है, वहीं बाक़ी खाया हुआ प्रोटीन व्यर्थ चला जाता है, जो ज़्यादा टॉक्सिन्स और एसिडिटी पैदा करते हैं. शरीर में एसिड हड्डियों के घन को घटा सकता है और इम्यून सिस्टम को कमज़ोर बनाता है.’’ मनीषा आगे बताती हैं कि चीज़ ठंडा और प्रोटीन समृद्घ आहार है, वहीं बीन्स गर्म और कार्बोहाइड्रेट्स व प्रोटीन का मिश्रण होते हैं. जिससे पाचन के एन्ज़ाइम्स के ठीक तरह से काम करने में समस्या पैदा होती है. जिसका नतीजा होता है: पेट का भारीपन और सुस्ती.
हानिकारक जोड़ी: भोजन के साथ फ़िज़ी ड्रिंक्स
फ़िज़ी ड्रिंक्स शक्कर की मात्रा के लिए बदनाम हैं और उन्हें भोजन के साथ पीने से ये आपके भोजन के पाचन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं. तरनजीत कौर, सीनियर न्यूट्रीशनिस्ट, ऐक्टिवऑर्थो, दिल्ली, बताती हैं,‘‘कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पाचन प्रणाली को बुरे ढंग से प्रभावित करते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और गैस व ब्लॉटिंग जैसी समस्याएं पैदा होती हैं.’’ भोजन के समय फ़िज़ी ड्रिंक्स की जगह छाछ या नारियल पानी पिएं.
हानिकारक जोड़ी: नींबू और कफ़ सिरप
नींबू का रस और शहद ख़राब गले को ठीक करने के लिए सबसे आम घरेलू नुस्खा है. लेकिन सुमन कहती हैं,‘‘ज़्यादातर कफ़ सिरप फ़ॉर्म्यूलेशन सुस्ती पैदा करते हैं. इन्हें नींबू के साथ मिलाए जाने पर ये मदहोशी का असर पैदा कर सकते हैं.’’
दूध और मसालेदार भोजन मिर्च का तीखापन जो कि कैप्सिसिन नामक एक कंपाउंड के कारण होता है, को संतुलित करने का काम पानी से बेहतर दूध कर सकता है. दूध में कैसिन होता है, जो कैप्सिसिन से बंध जाता है और मुंह की जलन को कम करता है. लेकिन इस सौदे में, ये भारी एसिडिटी भी पैदा कर सकता है, ख़ासतौर पर भरे हुए पेट में या मसालेदार भोजन के बाद. जो लोग एसिडिटी से पीड़ित हैं, उनके लिए यही सही होगा कि वे तीखे भोजन से दूर ही रहें या फिर अधिक क्षति से बचने के लिए दही का सेवन करें.