Lifestyle: मानव सभ्यता की शुरुआत में अनाज का उत्पादन शायद ही होता था लेकिन जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ लोगों में एक साथ रहने की प्रवृति बढ़ी, अनाज की पैदावार भी शुरू हुई. प्राचीन काल में उपाजाए जाने वाले अनाज अब बहुत ही कम बचे हैं लेकिन कुछ अभी भी हैं. माना जा रहा है कि फारो वर्तमान में सबसे पुराना अनाज है. टीओआई की खबर के मुताबिक खापली नव पाषाण युग से ही उपजाए जा रहे हैं. भारत में फारो को खापली अनाज कहा जाता है. खापली गेहूं की तरह का ही अनाज है लेकिन यह बेहद पावरफुल है. भारत में इसकी पैदावार बहुत कम होती है. वर्तमान में कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र और तमिलनाडु के कुछ भाग में यह अनाज उपजाया जाता है. कुछ सालों से खापली बेहद पॉपुलर हो रहा है. क्योंकि यह ग्लूटिन फ्री रहता है. इसके अलावा इसमें बेहद शक्तिशाली पौष्टिक तत्व होते हैं जो कई बीमारियों से हमें बचा सकते हैं.
खापली या फारो के फायदे- 1. ताकत और पाचन तंत्र की मजबूती का अनाज-टीओआई की खबर के मुताबिक फारो या खापली गेहूं में प्रचूर मात्रा में फाइबर, मैग्नीशियम, विटामिन ए, बी, सी और ई पाया जाता है. सिर्फ आधा कप फारो में 12 ग्राम प्रोटीन मिल जाता है. इसके साथ ही यह रोजाना के फाइबर का 20 प्रतिशत अकेले पूरा कर देता है. प्रचूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन के कारण यह शरीर में ताकत भर देता है और पाचन तंत्र को मजबूत बना देता है.
2. शुगर पर कंट्रोल-फारो ग्लूटिन फ्री होता है. यानी इसमें कार्बोहाइड्रैट बहुत कम होता है. दूसरी ओर इसमें फाइबर भी होता है. इन दोनों कारणों से यह ब्लड शुगर को बढ़ने नहीं देता है.
3. हार्ट के लिए फायदेमंद-फारो में मैग्नीशियम और पोटैशियम भी होता है जो हार्ट के Musselsको मजबूत बनाता है. इसके साथ ही फारो के सेवन से Bad Cholesterol की मात्रा कम होती है.
4. वजन पर काबू-चूंकि फारो में फाइबर बहुत अधिक होता है इसलिए यदि आप इसे सुबह-सुबह सेवन कर लें तो दिन भर भूख नहीं लगेगी. यही कारण है जो लोग वजन कम कर रहे हैं, उनके लिए फारो बेहद फायदेमंद है.
5. कैंसर रोधी-कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि फारो का सेवन कोलोन कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है.
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