13 अगस्त को 'विश्व अंगदान दिवस' क्यों मनाया जाता है, जानें
हर साल अगस्त के दूसरे सप्ताह में ‘विश्व अंगदान दिवस’ मनाया जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल अगस्त के दूसरे सप्ताह में 'विश्व अंगदान दिवस' मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष अंगदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है. अंगदान ऐसे व्यक्ति को अंग के रूप में दिया जाने वाला उपहार है, जिसके अंग की बीमारी अंतिम अवस्था में हो और जिसे प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की जरूरत हो. जो व्यक्ति अपना अंगदान करता है, उसे 'ऑर्गन डोनर' कहा जाता है, जबकि अंग पाने वाले व्यक्ति को 'रेसिपिएंट' कहा जाता है. अधिकांश मामलों में अंगदान रेसिपिएंट की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उसके अंग बीमारी या चोट के कारण खराब या क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं.
फोर्टिस हॉस्पिटल, (कल्याण, मुंबई) के चीफ इंटेन्सिविस्ट डॉ. संदीप पाटिल कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में अंगदान ने आधुनिक चिकित्सा की उन्नति और अनगिनत लोगों की जान बचाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालांकि, आज खासकर भारत में अंगदान की ज़रूरत बेहद ज्यादा है, क्योंकि 2019 में मरने वाले केवल 0.9 प्रतिशत लोग ऑर्गन डोनर्स थे. हमारे देश को लगभग 2 लाख गुर्दों, 50,000 हृदय और 5,000 लिवर चाहिए, ताकि इन जीवन-रक्षक अंगों की प्रतीक्षा कर रहे रेसिपिएंट्स की मदद की जा सके.
मानव शरीर के किन अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है?
डॉ. संदीप पाटिल कहते हैं, डोनर से रेसिपिएंट में मानव के कई अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है. इनमें से कुछ हैं लिवर, किडनी, पैंक्रियाज, दिल, फेफड़ा, आंत, कॉर्निया, बोन मैरो और वैस्कुलराइज्ड कम्पोजिट एलोग्राफ्ट्स, जैसे स्किन, यूटरस, बोन, मसल्स, नर्व्स और कनेक्टिव टिशूज.
अंगदान कौन कर सकता है और इसके मापदंड क्या हैं?
कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनर बन सकता है. यह फैसला लेने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है. हालांकि, शरीर के अंग दान करने के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं या नहीं, इसका आखिरी फैसला अस्पताल में होता है, क्योंकि यह तय करना होता है कि अंग दान के लिए सही हैं या नहीं. आमतौर पर अंगदान के तीन तरीके होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
अंगदान के तीन तरीके
ब्रेन डेथ: इस मामले में इनफार्क्ट/ब्लीडिंग/ ट्रॉमा यानी आघात के कारण ब्रेन स्टेम में खून की आपूर्ति रुक जाती है. ब्रेन स्टेम ही शरीर के महत्वपूर्ण केन्द्रों को नियंत्रित करता है. इसमें व्यक्ति सांस लेने या सचेत रहने की क्षमता खो देता है. ब्रेन डेथ और कोमा में अंतर है. कोमा में ब्रेन चोटिल हो सकता है, लेकिन उसके द्वारा खुद को ठीक करने की संभावना रहती है. हालांकि, ब्रेन डेथ के मामले में ठीक होने की संभावना नहीं रहती है और ब्रेन फिर से काम नहीं कर पाता है. ऐसे मामलों में व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है और अगर उसका परिवार चाहे, तो उसके अंग ज़रूरतमंदों को दान किए जा सकते हैं.
सर्कुलेटरी डेथ: इसमें हार्ट अटैक के बाद सर्कुलेशन (परिसंचरण) का काम रुक जाता है और व्यक्ति को पुनर्जीवित या सक्रिय नहीं किया जा सकता. ऐसा तब भी हो सकता है, जब इंटेंसिव केयर यूनिट या इमरजेंसी डिपार्टमेंट के भीतर मरीज को जीवित बनाए रखने वाले उपचार को उसके ठीक होने की उम्मीद न रहने पर बंद कर दिया जाए. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में मरीज पर करीब से नज़र रखी जाती है और अंगदान तभी होता है, जब सर्कुलेशन ऐसा रुके कि फिर शुरू न हो सके. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में समय बहुत कम मिलता है, क्योंकि ऑक्सीजन वाले खून के बिना अंग शरीर के बाहर ज्यादा समय तक ठीक नहीं रह सकते.
लिविंग डोनेशन: दान के उपरोक्त दो प्रकार व्यक्ति की मौत के बाद के लिए होते हैं, जबकि लिविंग डोनेशन व्यक्ति के जीवित रहते हो सकता है. व्यक्ति अपने परिजन या किसी ज़रूरतमंद के लिए किडनी, लिवर के एक छोटे हिस्से या नितंब या घुटने बदलने के बाद बेकार की बोन का दान कर सकता है.
क्या ऐसा व्यक्ति, जिसका परिवार न हो, ऑर्गन डोनर के तौर पर रजिस्टर हो सकता है?
डॉ. संदीप पाटिल कहते हैं यह संभव है और इसे प्रोत्साहित भी किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति के परिजन नहीं हैं, तो वह अपने सबसे करीबी दोस्तों या सहकर्मियों को मरने के बाद अपने अंगदान करने का फैसला बता सकता है. वह विभिन्न समूहों के साथ भी अंगदान के लिए 'साइन अप' कर सकता है.
कौन अंगदान नहीं कर सकता?
कुछ लोग अपने अंगों का दान नहीं कर सकते, जिन्हें खास बीमारियां, जैसे कैंसर, एचआईवी, संक्रमण (उदाहरण के लिए सेप्सिस) हो या इंट्रावेनस (आईवी) दवा ले रहे लोग हो सकता है कि अपने अंगों का दान न कर सकें. हालांकि, एक डोनर के रूप में रजिस्टर होना फिर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौत के समय इसका विस्तृत मूल्यांकन होता है कि अंग प्रत्यारोपण के लिए सही है या नहीं.
मुझे ऑर्गन डोनर क्यों बनना चाहिए?
डॉ. संदीप पाटिल कहते हैं भारत में हर साल लगभग पांच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है. अगर उन्हें अंग नहीं मिलें, तो उनकी मौत हो जाएगी और केवल जीवित रहने के लिए इलाज में उनका काफी समय बीतेगा.
जिन लोगों को अंग प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है, वे आमतौर पर बीमार या मर रहे होते हैं, क्योंकि उनका एक या ज्यादा अंग खराब हो चुका होता है. यह लोग बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी हो सकते हैं. अगर आप अपने अंगों का दान करना चाहें, तो ऐसे लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जो कई वर्षों से प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा में हों.