जानें नींद पुरी न होने से सेहत पर इसका असर क्या होगा
सोने और खाने का सीधा असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| सोने और खाने का सीधा असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है. अच्छी नींद और अच्छा भोजन हमें स्वस्थ रखता है और इससे व्यक्ति दीर्घायु बनता है. नींद का पैटर्न अलग-अलग देशों में भिन्न है. भारत की जहां तक बात है तो यहां के लोग औसतन 7 घंटे की नींद लेते हैं. इसे कम नींद की श्रेणी में रखा जाता है.
कम नींद लेने वाले लोगों की कैटगरी में भारत का स्थान दुनिया में दूसरा है. जापान के लोग सात घंटे से भी कम की नींद लेते हैं. इसलिए कम सोने के लिहाज से जापान का नाम पहला और दूसरे स्थान पर भारत है. भारतीय औसतन रात में 7 घंटे ही सो पाते हैं. हालांकि विज्ञान के लिहाज से घंटे से ज्यादा जरूरी है कि कोई व्यक्ति साउंड स्लिप (गहरी नींद) कितने घंटे की लेता है. अगर कोई 4 घंटे में ही अपनी नींद की जरूरत पूरी कर लेता है तो उसे 7 या 8 घंटे सोने की जरूरत नहीं है.
अच्छी नींद लेते हैं जर्मनी के लोग
एक ऐसा ही शोध जर्मन लोगों के बारे में हुआ है. शोध के मुताबिक जर्मनी के लोग अपनी जिंदगी में औसतन 24 साल और तीन महीने सोने में गुजारते हैं. इसका मतलब हुआ कि एक जर्मन व्यक्ति अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोने में ही गुजार देता है. ज्यादा सोने का एक कारण मौसम की वजह से शरीर में हुए हार्मोनल बदलाव भी हैं. वसंत ऋतु में देखा जाता है कि तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है, इस वजह से शरीर में बदलाव होते हैं और लोग आलस महसूस करते हैं. इससे लोगों को नींद ज्यादा आती है.
शोध में ऐसी भी बातें सामने आई हैं कि जब उम्र बढ़ती जाए तो इंसान को ज्यादा सोने से बचना चाहिए. अगर आप 25 साल की उम्र को पार कर गए हैं तो औसतन हर दिन 10 घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए. अगर आप इससे ज्यादा घंटे की नींद लेते हैं तो यह सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा.
कम नींद लेने से बीमारियों का खतरा
कम नींद लेने वाले लोगों की संख्या भारत में ज्यादा है. कम नींद सेहत के लिए सही नहीं है और इससे कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. मुख्य बीमारियों में दिल की बीमारी और डायबिटीज है. अगर इन दोनों खतरे से बचना है तो हमें ज्यादा से ज्यादा नींद लेनी चाहिए. ज्यादा नींद का तात्पर्य घंटे से कम और अच्छी नींद से ज्यादा है. अगर कामकाजी व्यक्ति हैं और ड्यूटी की बाध्यताओं के चलते ज्यादा सोने का समय नहीं मिल पाता तो आप छुट्टियों में इसकी भरपाई कर सकते हैं. छुट्टी के दिन नींद की भरपाई कर सेहत सुधारी जा सकती है.
5 घंटे से कम न सोएं
अच्छी नींद के लिए हमें 7 घंटे से ज्यादा जरूर सोना चाहिए. रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि 5 घंटे या उससे कम सोने वाले 65 साल से कम उम्र के लोगों के मरने का खतरा सात घंटे सोने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा होता है. हालांकि जल्द मौत का खतरा सिर्फ उन लोगों को नहीं है जो कम सोते हैं, यह खतरा उन लोगों के लिए भी है जो ज्यादा सोते हैं.
रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हर दिन 9 घंटे से ज्यादा सोने वाले 65 साल से कम उम्र के लोगों में भी मरने का खतरा ज्यादा होता है. रिसर्च से साफ है कि 6 घंटे से कम और 9 घंटे से ज्यादा सोने वाले व्यक्ति की जिंदगी आगे चलकर खतरे में पड़ सकती है. दिल और डायबिटीज की बीमारी ऐसे लोगों की जान जोखिम में डाल सकती है.