हार्ट केयर Heart Care: लाइफ में कोई भी मुश्किल या चुनौती आने पर व्यक्ति को सबसे पहले स्ट्रेस महसूस होता है। हालांकि अगर यह तनाव थोड़ी देर के लिए बना रहता है तो इससे नुकसान नहीं बल्कि व्यक्ति को फायदा मिलता है। इस तरह का तनाव व्यक्ति को कठिन समय और हालात से लड़ने का हौसला देता है। लेकिन अगर यही तनाव किसी वजह से लंबे समय के लिए बना रहता है तो ये व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को नुकसान पहुंचाने लगता है। लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर बुरा असर डालने लगता है। ऐसा ही एक नाजुक अंग व्यक्ति का 'दिल' है।
फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल, (वसंत कुंज, नई दिल्ली) में कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ त्रिदीप चौधरी, का कहना है कि अक्सर तनाव महसूस होने पर व्यक्ति का शरीर स्ट्रेस हार्मोन बनाने लगता है, जिसे कैटेक्लोमाइन्स (catecholamines) कहते हैं। ये स्ट्रेस हार्मोन शरीर में तनाव से निपटने के लिए ऑक्सीजन की खपत को बढ़ा देते हैं। अगर लंबे समय तक शरीर में ऑक्सीजन की मांग अधिक बनी रहती है जो व्यक्ति के हृदय को लंबी अवधि के लिए जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ता है। जिसकी वजह से कई बार व्यक्ति के दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। नतीजतन, व्यक्ति के हार्ट के साइज में बदलाव, दिल की धड़कन का आसामान्य होना और कोरोनरी धमनियों में सिकुड़न पैदा होने लगता है।
तनाव से दिल की सेहत को होता है नुकसान-
अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस आर्टरीज में प्लाक के जमाव के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है। अगर लंबे समय तक stress hormonesबनते रहते हैं तो व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर, ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से भी दिल की सेहत प्रभावित होती है।
इमोशनल स्ट्रेस का भी पड़ता है दिल पर असर-
इमोशनल स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति की नींद भी प्रभावित होती है। लगातार कई दिनों तक पूरी नींद नहीं ले पाने की वजह से एकाग्रता में कमी के साथ काम करने की क्षमता पर भी गहरा असर पड़ता है। जो व्यक्ति के तनाव को बढ़ाने का काम करता है। जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के साथ हृदय रोगों का जोखिम भी बढ़ जाता है।
लंबे समय तक इमोशनल स्ट्रेस में रहने की वजह से व्यक्ति की सोशल लाइफ भी प्रभावित होती है। जरूरत से ज्यादा तनाव कई बार मोटापे का कारण बनता है, जिसकी वजह से हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। मोटापे की वजह से सोते समय सांस लेने में दिक्क्तें होती हैं, जिसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहते हैं, इसका इलाज नहीं होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो हृदय के स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक होता है।
इमोशनल स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति को अनहेल्दी फूड खाने की आदत पड़ जाती है। फल और सब्जियों की जगह वह मिठाइयों और अन्य कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाना ज्यादा पसंद करता है। खानपान की ये अनहेल्दी आदतें हार्ट के लिए मुसीबत बन सकती हैं।
शोध से यह बात सामने आई है कि अक्सर तनावग्रस्त व्यक्ति अपने तनाव से छुटकारा पाने के लिए शराब और धूम्रपान जैसी नशीली चीजों का आदी बन जाता है। ये पदार्थ न सिर्फ हार्ट के लिए बल्कि सेहत से जुड़े अन्य खतरे भी पैदा करते हैं।
क्या कहता है अध्ययन-
हाल के समय में हुए अध्ययनों में कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज और इंफ्लेमेशन बढ़ने के बीच कनेक्शन भी देखा गया है। दरअसल, बचपन में तनावपूर्ण स्थितियों से गुजरने और ट्रॉमा के चलते भी इंफ्लेमेशन मार्कर का अधिक स्तर पैदा होता है, जो आगे चलकर हृदय रोगों के लिए जोखिम बढ़ता है।
इनके अलावा, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी ही बीमारी होती है जिसमें हार्ट का एक भाग अस्थायी रूप से कमजोर हो जाता है। इसकी मांसपेशियों में शिथिलता आ जाती है, जिससे इसकी पम्पिंग क्षमता कम हो जाती है। इसे स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है। अक्सर यह बीमारी मानसिक अवसाद अधिक होने पर देखी जाती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को कई तरह के इमोशनल स्ट्रेस जैसे दुख, डर, अत्यधिक क्रोध और हैरानी जैसी भावना से होकर गुजरना पड़ता है।