जानिए बचपन में ज़रूरत से ज्यादा अनुशासन के नुकसान
जीवन में अनुशासन ज़रूरी होता है. इसकी पहली सीख माता-पिता घर से देते हैं, लेकिन अगर अनुशासन के नाम पर बच्चों को मानसिक रूप से आप कमजोर करने लगें,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवन में अनुशासन ज़रूरी होता है. इसकी पहली सीख माता-पिता घर से देते हैं, लेकिन अगर अनुशासन के नाम पर बच्चों को मानसिक रूप से आप कमजोर करने लगें, तो ये निश्चित रूप से पैरेंटिंग का आपका ये गलत तरीका हो सकता है. दरअसल, कई पैरेंट्स ये मानते हैं कि उनका काम बच्चों को अनुशासन सिखाना है और इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. आपको ये भी जानना ज़रूरी है कि आपकी इस जिद की वजह से आपके बच्चों में कई नेगेटिव बातें भी जन्म देंगी. ऐसे में वे या तो डरपोक हो जाएंगे या गलतियों को छिपाना सीख जाएंगे. यहां आपको बताते हैं कि ज़रूरत से अधिक अनुशासन के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं.
डरने लगते हैं बच्चे
बच्चों को अगर आप ज़रूरत से ज्यादा अनुशासित करते हैं, तो वे आपसे अपनी बातों को खुल कर बोलना बंद कर देते हैं. यही नहीं, वे आपसे डरे और सहमे रहने लगते हैं. हार का डर भी उन्हें सताने लगता है, जिससे वे प्रतियोगिताओं में भाग लेने से बचने लगते हैं.
कॉन्फिडेंस की कमी
जब आप अपने बच्चे को ज्यादा अनुशासन में रखते हैं, तो ये उनमें कॉन्फिडेंस को कम करने लगता है. ऐसे बच्चे बैक बेंचर हो जाते हैं और कभी भी अपनी बात खुल कर नहीं रखते.
होता है मोरल डाउन
आप जब अपने बच्चे को ज्यादा अनुशासित करते हैं, तो उनका मोरल डाउन कई बार होने लगता है. वे सोचते ही नहीं कि कभी वे जीवन में जीत भी सकते हैं.
आपके प्रति अविश्वास
बच्चों को ज़रूरत से ज्यादा अनुशासित करने से वे आपके प्रति विश्वास खोने लगते हैं. ऐसे बच्चे कितने भी मुश्किलों में रहें, अपने माता-पिता से खुल कर बात नहीं बताते.
समाज से कट जाते हैं
बचपन से ज्यादा अनुशासित करके से बच्चे इंट्रोवर्ट होने लगते हैं और लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं. यही नहीं, वे धीरे धीर समाज से दूर-दूर रहने लगते हैं और इस वजह से उनका फ्रेंड सर्कल भी नहीं बन पाता. ऐसे में वे निराशा से भर जाते हैं.