बच्चें की शरीर का तेल मालिश तापमान नियमित जानें

Update: 2024-05-24 13:05 GMT

लाइफस्टाइल: मां के हाथों की मालिश दे शिशु को प्यार का एहसास  हम अक्सर यह सुनते आए हैं कि शिशुओं की तेल मालिश जरूर होनी चाहिए और इसके फायदे तब ज्यादा होते हैं, जब उसकी मां अपने हाथों से शिशु की तेल मालिश करती है। शिशु की तेल मालिश करने से न सिर्फ उसकी हड्डियां मजबूत होती है बल्कि मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है। शिशु की तेल मालिश को आयुर्वेदिक अभ्यास में शिशु अभ्यंगम कहा जाता है। इसमें अभ्यंगम का मतलब तेल से पूरे शरीर की मालिश और शिशु का मतलब छोटा बच्चा होता है। शिशु अभ्यंगम बच्चों के लिए बेहतरीन उपचार में से एक है, जो शरीर में बढ़े हुए वात दोष के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि बचपन के दिनों में हमारी हड्डियां बढ़ती हैं, तो एक अच्छी तेल मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं। शिशु की तेल मालिश लंबाई बढ़ाने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने, शक्तिशाली संवेदी अंगों, मस्तिष्क के विकास और प्रतिरक्षा में मदद करती है। आइए जानते हैं कि एक मां अपने शिशु की मालिश करके उसे किस तरह के फायदे पहुंचा सकती है। और यह भी जानते हैं कि शिशु अभ्यंगम यानी तेल मालिश कैसे सही तरीके से किया जा सकता है।

शिशु अभ्यंगम को आदर्श तौर पर सुबह या शाम में खाली पेट में करने की सलाह दी जाती है। यदि शिशु ने तुरंत ही दूध पिया है, तो उस समय तेल मालिश करने की सलाह बिल्कुल नहीं दी जाती है बल्कि कहा जाता है कि दूध पीने के एक घंटे बाद ही मालिश करना सही रहता है। शिशु की तेल मालिश के लिए हल्के गुनगुने तेल का इस्तेमाल करना सही रहता है। यदि डॉक्टर ने किसी खास तेल की सलाह दी है, तो ही उस तेल का इस्तेमाल करें वरना डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही किसी खास तेल से मालिश करने के बारे में सोचें।
तेल मालिश के बाद गुनगुने पानी से शिशु को एक आरामदायक स्नान देना जरूरी हो जाता है। यहां यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पानी बहुत ज्यादा गरम नहीं होना चाहिए। तेल मालिश और स्नान के बाद शिशु को एक कपड़े में लपेटकर गरम रखा जाता है ताकि उसे ठंडी हवा ना लगे और वह बीमार ना पड़े।
मां के लिए यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि मालिश करते समय वह हल्के हाथ का ही इस्तेमाल करने वरना शिशु के शरीर में दर्द हो सकता है। शिशु की तेल मालिश करने के फायदे जब एक मां अपने शिशु की तेल मालिश करती है, तो उसके कई अनगिनत फायदे होते हैं। गहरा जुड़ाव: जब एक मां तेल मालिश के समय शिशु को गले लगाती है, चूमती है तो शिशु और मां दोनों से ऑक्सीटोसिन नामक लव हार्मोन रिलीज होता है। इससे मां और शिशु दोनों के बीच जुड़ाव गहरा होता है।
कॉलिक दर्द से राहत: कॉलिक दर्द हर शिशु को होता है और इससे बचने का एक रास्ता पेट में की गई मालिश है। एक मां अपने शिशु को सबसे ज्यादा अच्छी तरह से समझती है और इस तरह से यह उसके लिए आसान हो जाता है कि वह उसके कॉलिक दर्द को ठीक करने में मदद करे।
खूबसूरत और स्वस्थ त्वचा: शिशु की तेल मालिश करने से उसकी त्वचा में चमक आती है। शिशु की त्वचा तेल से फैट को अवशोषित कर लेती है और त्वचा की वॉटर रिटेन्शन क्षमता को बढ़ाती है, जिससे त्वचा स्वस्थ और खूबसूरत बनती है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार: मां जब शिशु की तेल मालिश करती है, तो इससे उसकी इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) भी बढ़ती है। यह तेल उसकी त्वचा की गहराई में समाता है और त्वचा में तेल की मालिश करने से सूक्ष्म कोशिकाएं एक्टिव हो जाती हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
शरीर का तापमान नियमित: शिशु की तेल मालिश उसके शरीर के तापमान को नियमित करने में भी मदद करती है। बालों और स्कैल्प को पोषण: तेल मालिश करते समय मां शिशु के बाल और स्कैल्प में भी तेल लगाती है, जिससे उसके बालों और स्कैल्प को भी पोषण मिलता है।
बढ़ता है वजन: आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तेल मालिश से शिशुओं का वजन भी बढ़ता है। खासकर प्रीमैच्योर शिशु की जब प्राकृतिक तेल से नियमित रूप से मालिश की जाती है तो उनका वजन बढ़ने में मदद मिलती है।
गहरी नींद आने में मददगार: जिस तरह यह बड़ों पर लागू होता है, उसी तरह शिशुओं पर भी लागू होता है कि जब एक मां अपने शिशु की तेल मालिश करती है तो इससे उसकी मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और गहरी नींद आने में उसे मदद मिलती है।
किस समय नहीं करनी चाहिए शिशु की तेल मालिश शिशु को किसी भी तरह की अपच से जुड़ी समस्या हो रही है, जैसे- डायरिया, उल्टी या पेट से जुड़ी कोई भी अन्य समस्या तो शिशु की तेल मालिश करने से परहेज करना चाहिए। इसी तरह यदि शिशु को ठंड लगी है, खांसी, बुखार है तो भी तेल मालिश नहीं करनी चाहिए। खाली पेट में ही शिशु की तेल मालिश करने की सलाह दी जाती है।
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