अगर आप बच्चे को डायपर पहनाती हैं, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

आजकल बच्चों को कपड़े से बनी लंगोटी पहनाने का चलन करीब-करीब खत्म सा होने लगा है. कुछ महीनों को होते ही मांएं अपने नौनिहाल को डायपर पहनाना शुरू कर देती हैं.

Update: 2021-02-04 04:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | आजकल बच्चों को कपड़े से बनी लंगोटी पहनाने का चलन करीब-करीब खत्म सा होने लगा है. कुछ महीनों को होते ही मांएं अपने नौनिहाल को डायपर पहनाना शुरू कर देती हैं. कई घंटों तक डायपर पहने रहने पर बच्चों को रैशेज की समस्या होने लगती है. इससे बच्चे असहज महसूस करते हैं और परेशान होकर रोते रहते हैं या चिड़चिड़े हो जाते हैं. अगर आप भी अपने बच्चे को अक्सर डायपर पहनाती हैं तो इन बातों को ध्यान में जरूर रखें.

इस वजह से होते रैशेज
रैशेज मतलब नमी से होने वाले चकत्ते. लंबे समय तक नैपी का उपयोग, इसके प्रमुख कारणों में से एक है. दरअसल एक नैपी ज्यादा से ज्यादा चार घंटे के लिए बच्चे को पहनाया जा सकता है. लेकिन अक्सर मांए बाहर घूमने जाते समय, बच्चों को सुलाते समय बच्चे को सात से आठ घंटे तक एक ही नैपी पहनाकर रखती हैं और अपने काम मे व्यस्त हो जाती हैं. नैपी बदलने के बाद भी उसके नितंबों को साफ नहीं करतीं और दूसरा नैपी पहना देती हैं. ऐसे में बच्चे के शरीर का जो हिस्सा नैपी से ढका होता है, उसमें गीलापन आ जाता है. लगातार गीलेपन और नमी के कारण रैशेज की समस्या हो जाती है. रैशेज के चलते कई बार बच्चों की नाजुक त्वचा में छोटे लाल-लाल दाने हो जाते हैं जो कभी कभी फैलकर बच्चे के पेट और जांघ तक आ जाते हैं और बच्चों में चिड़चिड़ेपन का कारण बनते हैं.
ये भी हैं कारण
लंगोट को अगर कसकर बांधा जाएगा तो भी बच्चे की त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं. कभी-कभी, कुछ लोशन और साबुन बच्चे को सूट न करें तो वो भी चकत्ते कारण बनते हैं. इसके अलावा दवाओं के रिएक्शन या गीलेपन के इनफेक्शन से भी ये समस्या हो जाती है.
क्या करें
1.अगर आप वाकई बच्चे को इस समस्या से बचाना चाहती हैं तो आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा कि बच्चा साफ रहे और उसके किसी भी अंग में नमी न रहे.
2. यदि बच्चा शौच करे तो फौरन उसका डायपर बदल दें, देर न करें. इसके बाद बच्चे के नितंबों को अच्छे से धोएं और सूखे मुलायम कपड़े से पोंछकर साफ करें. इसके बाद बच्चे के नितंबों पर नारियल का तेल या अच्छी डायपर रैशेज क्रीम लगाएं.
3. कोशिश करें कि बच्चे की साइज से बड़ा व ढीले डायपर का उपयोग करें. हमेशा बच्चे का डायपर साफ-सुथरा और सूखा रखें.
4. हर चार घंटे बाद डायपर बदलें. यदि रात को सोते समय भी डायपर पहना रही हैं तो ये जिम्मेदारी ध्यान से निभाएं.
5. डायपर बदलने पर उस भाग को अच्छी तरह से साफ करें.
6. संभव हो तो कभी कभी बच्चे को घर पर ही दादी-नानी की बनाई लगोंट का जो नरम कपड़ों की बनी होती है, उसे पहनाएं.
7. डायपर पहनाने से पहले बच्चे के नितंबों को अच्छे से रुई की मदद से साफ करें. इसके बाद कोई ऑयल लगाकर ही डायपर पहनाएं.
8. कभी कभी बच्चे को कुछ देर बगैर डायपर के रहने दें. इससे बच्चा आराम महसूस करेगा.


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