जब भी एक आम आदमी से पूछा जाता है कि हमारे द्वारा खाया गया खाना कौन पचाता है तो वह कहता है कि हमारे शरीर में मौजूद एंज़ाइम. यदि किसी चिकित्सक से पूछेंगे तो वह कहेगा कि हमारी लार में मौजूद एमिलेज कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता है, अमाशय में मौजूद पेप्सिन प्रोटीन को पचाता है और छोटी आंत में मौजूद ट्रिप्सिन फैट को. यह सब तो ठीक है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह सभी सेकेंडरी एंज़ाइम हैं सबसे पहले भोजन को उसमें मौजूद उसके ख़ुद के एंज़ाइम पचाते हैं. जैसे जब कोई फल बहुत दिनों तक रखा रहता है तो वह स्वयं सड़ने लगता है क्योंकि उसमें मौजूद एंज़ाइम उसे नष्ट करने या पचाने लगते हैं. सब्ज़ियां कुम्हलाने लगती हैं, मांस सड़ने लगता है... आदि. जब हम भोजन को खाते हैं तो हमारी आहार नली के एंज़ाइम और भोजन में मौजूद एंज़ाइम उसका पाचन शुरू कर देते हैं. यह पाचन उतना ही अच्छा होगा जितनी कि एंज़ाइम की अच्छी मात्रा.
आजकल फलों और सब्ज़ियों को लंबे समय तक प्रिज़र्व रखने के कारण उन्हें केमिकल से ट्रीट किया जाता है ऐसे में उनके प्राकृतिक एंज़ाइम नष्ट हो जाते हैं और केमिकल का असर होने लगता है. अब जब कम एंज़ाइम और घातक केमिकल वाला यह खाना हम लेते हैं तो हमारे पाचनतंत्र पर यह दोहरी मार पड़ती है. एक तो वह इसे पचा नहीं पाता और दूसरा प्रयोग किए गए केमिकल अंगों को रोगग्रस्त करने लगते हैं... नतीजा बदहज़मी अल्सर तथा कैंसर जैसे रोग. भोजन को जितना अधिक पकाया जाएगा उसके एंज़ाइम उतने ही ज्यादा नष्ट होते जाएंगे और उसे सुरक्षित रखने के लिए जितने प्रिज़र्वेटिव मिलाए जाएंगे वह उतना ही घातक होता जाएगा इसलिए पिज़्ज़ा, बर्गर, पैकेज्ड फ़ूड से भी दूरी बनाएं. यदि आप चाहते हैं कि आपका पाचनतंत्र स्वस्थ रहे तो उसे प्राकृतिक एंज़ाइम से भरपूर और केमिकल से मुक्त भोजन ही दें.