पैरालिसिस यानि कि लकवे की बीमारी आजकल काफी सुनने को मिलती है। किसी की पूरी बॉडी पैरालिसिस का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है। जब हमारी मांसपेशियाँ कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ हों जाती है उस स्थिति को पक्षाघात, लकवा या फालिज कहते हैं। लकवे होने पर प्रभावी क्षेत्र के भाग को उठाना, घुमाना, फिराना या चलना-फिरना लगभग असम्भव हो जाता है। मांसपेशियों की दुर्बलता, नाड़ियों की कमजोरी तथा बढ़ता हुआ रक्तचाप इस रोग के प्रमुख कारण हैं। जो व्यक्ति अधिक मात्रा में गैस पैदा करनेवाले पदार्थों का सेवन करते हैं, अव्यवस्थित व अत्यधिक संभोग करते हैं, विषम आहार का सेवन करते हैं, ज्यादा व्यायाम करते हैं उन्हें भी यह रोग चपेट में ले लेता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं लकवा के रोग में किस तरह के घरेलु इलाज अपनाये।
* जैसे ही लकवे का अटैक पड़े तुरंत उसी समय तिल का तेल 50 से 100 ग्राम की मात्रा में थोड़ा-सा गर्म करके पी जायें व साथ में लहसुन भी चबा चबा कर खायें। अटैक आते ही लकवे से प्रभावित अंग एवं सिर पर सेंक भी करना शुरू कर दें व आठ दिन बाद मालिश करें। लकवे में ज्यादा से ज्यादा उपवास करना चाहिए। उपवास में पानी में शहद मिलाकर लेते रहे।
* लकवा रोग को दूर करने का एक और इलाज मौजूद है, जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इसके अनुसार पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले। क्योंकि पसीना इस रोग को काटने में सहायक होता है।
* एक अन्य उपाय के अनुसार लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए। स्नान के बाद उसे गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को, यानि कि जिस भाग को लकवा हुआ है केवल उसी भाग को ढकना चाहिए। यह करने के बाद अंत में कुछ देर के बाद उसे धूप में बैठना चाहिए। उसके रोगग्रस्त भाग पर धूप पड़ना बेहद जरूरी है।
* रात को तांबे के बर्तन में एक लीटर पानी भर कर रख दे और पानी में चाँदी का एक सिक्का भी डाल दे। सुबह खाली पेट इस पाई को पिए और आधे घंटे तक कुछ ना खाए पिए। ये प्रयोग लकवा से रिकवर होने में बहुत फायदा करता है।
* लकवे के रोगी को करेला जादा खाना चाहिए, लकवे में करेले के सेवन से भी फायदा मिलता है। लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को किसी भी नशीली चीज़ के सेवन से परहेज करना चाहिए और खाने में घी, तेल माँस, मछली का प्रयोग नही करना चाहिए।