Life Style : दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है फिश ऑयल सप्लीमेंट जानिए नुक़सान

Update: 2024-07-07 06:30 GMT
Life Style लाइफ स्टाइल : हेल्दी सप्लीमेंट के बढ़ते चलन के बीच अब फिश ऑयल सप्लीमेंट का प्रचलन भी बढ़ गया है। फिश यानी मछली की कोशिकाओं से निकाला गया फैटी एसिड ही फिश ऑयल सप्लीमेंट बनाता है। यह ओमेगा थ्री फैटी एसिड का एक बेहतरीन डाइटरी स्रोत है। हमारे शरीर को ओमेगा थ्री फैटी एसिड की बहुत जरूरत होती है। ऐसे तो फिश ऑयल उस गैप को भरता है जो कि अपर्याप्त मात्रा में ओमेगा थ्री लेने के कारण पैदा होता है।हालांकि, अगर हम अपनी डाइट से ही भरपूर ओमेगा थ्री फैटी एसिड का सेवन कर लेते हैं, तो किसी प्रकार के फिश ऑयल सप्लीमेंट की जरूरत ही नहीं पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि फिश ऑयल सप्लीमेंट से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कम होता है, लेकिन इसके कई नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे फिश ऑयल सप्लीमेंट हैं हार्ट के लिए खतरा-
ऐसे तो फिश ऑयल सप्लीमेंट का इस्तेमाल कार्डियोवास्कुलर यानी हार्ट संबंधी खतरों को कम करने के लिए किया जाता है, लेकिन शोध के अनुसार जिन लोगों को हार्ट संबंधी कोई खतरा पहले से नहीं है, उन लोगों में सप्लीमेंट लेने के बाद ये खतरा आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा हुआ पाया गया है। जिन्हें पहले से ही कोई हार्ट की बीमारी है, उनके लिए तो ये एक फायदेमंद चीज पाई गई, लेकिन आम जनता के लिए बचाव के तौर पर इसका इस्तेमाल करने पर ये रोग को बढ़ावा देने में जिम्मेदार पाया गया।
महिलाओं में बढ़ा हार्ट अटैक का खतरा Increased risk of heart attack in women
जर्नल बीएमजे मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार लाखों लोगों पर किए एक रिसर्च में ये पाया गया कि पहले से जिन्हें किसी भी प्रकार की कार्डियोवैस्कुलर बीमारी नहीं थी, उन लोगों में सप्लीमेंट लेने के बाद 13% तक एट्रियल फिब्रिलेशन का और 5% तक स्ट्रोक का खतरा बढ़ा हुआ पाया गया। महिलाओं में इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेल की संभावना 6% तक बढ़ी हुई पाई गई। ये तुलना उन लोगों से की गई, जिन्हें कोई भी कार्डियोवैस्कुलर बीमारी नहीं थी और न ही उन्होंने किसी प्रकार का सप्लीमेंट लिया।
एक्सपर्ट की सलाह जरूरी
हालांकि, इसी शोध में ये बात भी साफ हुई कि जिन्हें पहले से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी थी, फिश ऑयल सप्लीमेंट लेने के बाद उनमें एट्रियल फिब्रिलेशन का हार्ट अटैक में बदलने की संभावना 15% तक कम हो गई और 9% तक हार्ट फेल से मृत्यु की संभावना भी कम हुई। इससे ये बात स्पष्ट है कि शरीर में ओमेगा थ्री फैटी एसिड की मात्रा एक सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए और फिश ऑयल सप्लीमेंट का इस्तेमाल किसी एक्सपर्ट की राय पर ही करें।
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