Dry Eyes: डॉक्टर्स ने बताया- लाइफस्टाइल की ये दो आदतें बढ़ा रही हैं ड्राई आइज का खतरा
जा सकती है रोशनी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हमारी खराब लाइफस्टाइल को कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़कर देखा जाता रहा है। यह हृदय रोगों-डायबिटीज से लेकर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और आंखों के लिए भी दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है। ड्राई आइज यानी आंखों का सूखापन ऐसी ही एक समस्या है जिसका जोखिम काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आंखों की इस समस्या पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इससे कोशिकाओं को गंभीर क्षति होने के साथ हमेशा के लिए रोशनी जाने का खतरा भी हो सकता है।
ड्राई आइज की दिक्कत तब होती है जब आपकी आंखें पर्याप्त मात्रा में आंसू का उत्पादन नहीं कर पाती हैं, इस कारण से आंखों की नमी कम होने लगती है। ऐसी स्थिति आंखों में असहजता का कारण बन सकती है और कुछ मामलों में इससे दृष्टि संबंधी समस्याएं होने का भी खतरा रहता है।
यदि आपको ड्राई आइज की समस्या है तो इसका समय रहते उपचार किया जाना बहुत आवश्यक है। ड्राई आइज के कारण आपको आंखों में सूखापन, किरकिरा या जलन, लालिमा या दर्द महसूस हो सकता है। अगर समय रहते इस विकार का इलाज न किया जाए तो इससे संक्रमण और अल्सर तक का खतरा बढ़ जाता है।
लैपटॉप-मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से न सिर्फ स्क्रीन टाइम और इससे होने वाली दिक्कतें बढ़ती हैं साथ ही इसे ड्राई आइज का भी कारण माना जाता है। डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन पर देखते रहने से हमारी ब्लिंक दर 66% तक कम हो जाती है। पलकें कम झपकने से ड्राई आई सिंड्रोम विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। आंखों को तरोताजा और स्वस्थ महसूस कराने में पलक झपकना जरूरी है। इसके अलावा इन डिवाइस से निकलने वाली नीली रोशनी के कारण भी ड्राई आइज का जोखिम हो सकता है।