सस्ते और सहज उपलब्ध पपीते के बड़े महंगे और ख़ास हैं फ़ायदे

Update: 2023-06-27 12:04 GMT
बाज़ार में आसानी से उपलब्ध फल पपीता न केवल सस्ता है, पर गुणों की खान भी है. पपीते के सभी गुणों में एक बेहद लाभदायक गुण है, इसका पाचन में मददगार होना. आइए मैक्सिको और वेस्ट इंडीज द्वीप मूल के इस फल के उन गुणों के बारे में जानते हैं, जिनके चलते सत्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों में भारत, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया तथा विश्व के अन्य देशों में प्रचलित इस फल को हमें अपने खानपान में ज़रूर शामिल करना चाहिए.
पपीता: रंग-रूप, स्वाद और पोषक तत्व
कच्चा पपीता हरे रंग का होता है. पकने बाद यह पीले रंग का हो जाता है. पके हुए पपीते के बीज कालीमिर्च के आकार के काले-काले होते हैं. स्वाद में ये बीज कड़वे होते हैं. पका हुआ पपीता स्वाद में मीठा, भारी, उष्ण, तैलीय, मृदु-रेचक तथा पित्तनाशक होता है. यह वीर्यवर्धक होता है. पपीता हृदय के लिए हितकारी है. लिवर के लिए भी यह बड़ा फ़ायदेमंद है. स्प्लीन या प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि को रोकने में यह महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है. कब्ज़ एवं मूत्र रोग में पपीता अच्छी-ख़ासी औषधि का काम करता है.
पपीते के पोषक तत्वों में 89.6% पानी, 0.5% प्रोटीन, 0.1% वसा, 9.5% कार्बोहाइड्रेट, 0.4% अल्कली, 0.01% कैल्शियम, 0.01% फ़ॉस्फ़ोरस होते हैं. 100 ग्राम पपीते में 0.4 मिलीग्राम आयरन, 46 से 136 मिलीग्राम विटामिन सी होता है. इसके अलावा आम के बाद फलों में सबसे अधिक विटामिन ए पपीते में ही होता है. पपीते के कुल शुगर में आधा ग्लूकोज़ तथा आधा फ्रुक्टोज़ होता है.
पपीते की एक ख़ासियत यह है कि जैसे-जैसे पपीता पकता जाता है, वैसे-वैसे उसमें विटामिन सी की मात्रा में वृद्धि होती जाती है. एक प्रयोग के अनुसार एकदम कच्चे पपीते में विटामिन-सी की मात्रा 32 मिलीग्राम, हरे पपीते में 40 से 72 मिलीग्राम, अधपके पपीते में 53 से 95 मिलीग्राम तथा पके हुए पपीते में 68 से 136 मिलीग्राम होती है. यह मात्रा प्रति सौ ग्राम के हिसाब से है.
पपीते में विटामिन बी, विटामिन बी, तथा नियेसिन भी पाया जाता है. कच्चे पपीते के सफ़ेद (दूधिया) रस में पर्याप्त मात्रा में पपेइन नाम का पाचक रस पाया जाता है. पपेइन प्रोटीन के पाचन में सहायता करता है.
ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा पाने के लिए कैसे करें पपीते का इस्तेमाल?
कच्चे पपीते का रस निकालकर भी उसका सेवन किया जा सकता है. पके हुए पपीते को चबा कर भी खाया जा सकता है. यदि पके हुए पपीते का रस बनाना हो तो मिक्सर में थोड़ा दूध अथवा पानी मिला कर इसका रस भी बनाया जा सकता है. पपीते का रस मज़ेदार और ताज़गी प्रदान करनेवाला होता है.
कच्चे पपीते का रस पेट से कीड़ों को बाहर निकालने में बहुत हो उपयोगी है. पपीता लिवर की बीमारियों में भी बहुत लाभदायक है. यह महिलाओं के मासिक-स्राव को नियमित कर देता है. आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने पेट की बीमारियों में पपेइन को औषधि के रूप में मान्यता प्रदान की है. पेचिश, अति एसिडिटी, अजीर्ण तथा कब्ज़ में पपीता उपयोगी औषधि का काम करता है.
पांडुरोग तथा स्पलीन वृद्धि में भी पपीता बहुत उपयोगी साबित हुआ है. पपेइन के अलावा पपीते में आर्जिनाइन (पुरुषों की नपुंसकता दूर करनेवाला तत्व) कार्पेइन (हृदय के लिए उपयोगी तत्व) तथा फ़ाइब्रिन (रक्त के जमाव में उपयोगी तत्व) आदि एंज़ाइम भी पाए जाते हैं.
अध्ययनों के मुताबिक़ पपीता वृद्धावस्था आने से रोकता है और शरीर का कायाकल्प कर देता है. पपीते के सेवन से शरीर का रंग साफ़ होता है. शरीर का रंग साफ़ करने के लिए प्रतिदिन लगभग 200 मिलीलीटर पपीते के रस का सेवन करना चाहिए. यदि रस-उपवास रखा जाए और 200 मिलीलीटर पपीते के रस के साथ 200 मिलीलीटर ककड़ी के रस का एक-एक घंटे के अंतराल पर सेवन किया जाए तो और भी जल्दी लाभ होता है.
पपीते के स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी दूसरे लाभ
पपीते में विविध एंज़ाइम होने के कारण कैंसर के उपचार में भी इसके सेवन की सिफ़ारिश की जाती है. अत्यधिक मात्रा में विषैली दवाइयों का सेवन करने से आंतों में स्थित उपयोगी कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में आंतों में इन जीवाणुओं की पुनर्वुद्धि के लिए पपीते का रस बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है.
पपीते में मूत्रल गुण होता है. इसलिए यह मूत्रपिंड के रोगों में भी लाभदायी है. पका हुआ पपीता कब्ज़ को दूर करने की अचूक औषधि है. पपीता दमा में भी राहत पहुंचाता है.
कच्चे पपीते के सफ़ेद गूदे को चेहरे पर रगड़ने से मुंहासे दूर हो जाते हैं. इससे चेहरे के ग्लो में वृद्धि होती है और चेहरे की झुर्रियां ख़त्म हो जाती हैं. पके हुए पपीते के बीजों का उपयोग प्यास बुझाने एवं आंतों के कीड़ों को नष्ट करने के लिए किया जाता है.
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