इंटरमिटेंट फास्टिंग के रिजल्ट के लिए इन 5 मिथ से रहें सावधान, डाइटीशियन ने बताई सच्चाई
मिथक 1: फास्टिंग मेटाबॉलिक रेट को कम कर देती है।
यह माना जाता है कि फास्टिंग से आपका मेटाबॉलिज्म (metabolism) या बायोकैमिकल प्रोसेस (Biochemical processes) स्लो हो जाता है। क्या यह सच है?
डाइटीशियन शेरिल के मुताबिक ऐसा नहीं हैं। वे कहती हैं फास्टिंग से मेटाबॉलिज्म स्लो नहीं होता। दरअसल, रिसर्च में पता चला है कि फास्टिंग के साथ ब्लड शुगर का लेवल और हार्मोन ग्रोथ 5 गुना तक बढ़ सकती है और इससे फैट बर्निंग प्रोसस बढ़ जाती है। साथ ही साथ इससे मसल्स गेन होता है और कई हेल्थ बेनिफिट भी हो सकते हैं।
मिथक 2: फास्टिंग तोड़ने के बाद मन मर्जी का खा सकते हैं।
इससे पहले आपको ये सोचने की जरूरत होगी कि, दिन भर कुछ न खाने के बाद अगर आप बहुत सारा खाना खाते हैं तो क्या इससे कोई फर्क पड़ता है?
यदि आप चाहते हैं कि आपका वजन कंट्रोल में रहे तो आपको कैलोरी डेफेसिट में रहना होगा। इसलिए इस बात का ख्याल रखें कि आप कितना खा रहे हैं? क्योंकि आप अगर मेंटनेंस कैलोरी से अधिक खाएंगे तो वजन बढ़ सकता है और उससे कम खाएंगे तो वजन कम हो सकता है। यदि आप कम कैलोरी ले रहे हैं तो भी फूड क्वालिटी पर ध्यान दें।
यानी आप हेल्दी और न्यूट्रिशन से भरपूर फूड खाएं न कि जंक/फास्ट फूड। इंटरमिटेंट फास्टिंग हेल्दी रहने की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
वजन कम करने और बढ़ाने के लिए कितनी कैलोरी की जरूरत होती है इस बारे में जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
मिथक 3: इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान वर्कआउट नहीं कर सकते।
क्या आप इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरा जिम जा पाएंगे या अपना पसंदीदा खेल खेल पाएंगे?
क्या आपका शरीर इसे झेलने में सक्षम होगा?
इस बारे में शेरिल कहती हैं कि ऐसा नामुमकिन नहीं है। वे भी अपने क्लाइंट्स को उपवास में वर्कआउट करने की सलाह देती हैं। यदि आप 16 घंटे के लिए फास्टिंग कर रहे हैं, तो हम उन्हें 15 वें घंटे में वर्कआउट करने की सलाह देते हैं ताकि वर्कआउट खत्म करने के बाद वे फास्टिंग तोड़कर कुछ खा सकें।
मिथक 4 : इंटरमिटेंट फास्टिंग में हैवी ब्रेकफास्ट जरूरी है।
हमें शुरू से ही ये बताया जाता है कि नाश्ता करो तो राजा की तरह, लंच राजकुमार की तरह और रात का भोजन भिखारी की तरह। लेकिन क्या ये बात आज के समय में लागू होती है?
दरअसल, सुबह के दौरान यदि आप अधिक कार्ब्स लेंगे तो शरीर में फैट स्टोर होने लगेगा। इसलिए नाश्ता लौ-कार्ब (कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, Complex Carbohydrates), हाई प्रोटीन (High protein) और हेल्दी फैट (Healthy fats) वाला होना चाहिए।
मिथक 5: फास्टिंग से सभी को एक जैसे रिजल्ट मिलेंगे।
सोचने में ये बात काफी आसान लगती है कि दिन के बड़े हिस्से में आप कुछ भी न खाएं और जब चाहें अच्छी और बैलेंस डाइट का सेवन करें। तो, हर कोई जो इंटरमिटेंट फास्टिंग की कोशिश करता है उसे समान रिजल्ट मिलना चाहिए या नहीं?
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के कई तरीके हैं। लेकिन हमारे देश में जो सबसे ज्यादा फेमस तरीका है वो है जिसमें 16 घंटे बाद भोजन करना होता है।
उदाहरण के लिए मेरा एक दोस्त है जो इंटरमिटेंट फास्टिंग करता है, वो सूरज डूबने से पहले डिनर कर लेता है और फिर अगले दिन ही फास्ट तोड़ता है। हमारे देश में ये रमजान (Ramadan), लेंट (Lent), चौविहार (Chauvihar) या अन्य उपवास प्रथाओं में से एक है।
वहीं एक तरीका 2-5-2 फास्टिंग भी है। जिसमें आप पांच दिनों के लिए सब कुछ खाते हैं और 2 दिन सिर्फ 500 कैलोरी लेते हैं। इस कारण लोगों को अलग-अलग रिजल्ट मिलते हैं।