भारी पड़ी शी की जिद

चीन में बड़े शहरों की सड़कें फिर सूनी दिखने लगी हैं। इस बार मामला सरकार की ओर से लादी गई सख्त पाबंदियों का नहीं बल्कि कोरोना के केसों में तेज बढ़ोतरी से लोगों में फैली दहशत का है। चीन में शी चिनफिंग सरकार कोविड-19 की चुनौती से निपटने में बुरी तरह नाकाम होती दिख रही है। शुरू में उसने जीरो-कोविड पॉलिसी के तहत ऐसी सख्त पाबंदियां लगाईं कि लोग त्राहिमाम कर उठे। वे न तो कामकाज पर जा पा रहे थे और न उन्हें आवश्यक वस्तुओं की सही ढंग से आपूर्ति हो पा रही थी।

Update: 2022-12-21 02:39 GMT

नवभारत टाइम्स; चीन में बड़े शहरों की सड़कें फिर सूनी दिखने लगी हैं। इस बार मामला सरकार की ओर से लादी गई सख्त पाबंदियों का नहीं बल्कि कोरोना के केसों में तेज बढ़ोतरी से लोगों में फैली दहशत का है। चीन में शी चिनफिंग सरकार कोविड-19 की चुनौती से निपटने में बुरी तरह नाकाम होती दिख रही है। शुरू में उसने जीरो-कोविड पॉलिसी के तहत ऐसी सख्त पाबंदियां लगाईं कि लोग त्राहिमाम कर उठे। वे न तो कामकाज पर जा पा रहे थे और न उन्हें आवश्यक वस्तुओं की सही ढंग से आपूर्ति हो पा रही थी। इकॉनमी पर इसका बुरा असर पड़ रहा था, सो अलग। बार-बार अलग-अलग हलकों से यह बात कही जा रही थी कि चीन को दुनिया के अन्य देशों के इस महामारी से निपटने के अनुभवों का लाभ लेना चाहिए। लेकिन चीनी सरकार की ज्यादा दिलचस्पी यह साबित करने में थी कि उसकी नीति अन्य सभी देशों से बेहतर है। वह बस विभिन्न देशों में मृतकों की संख्या देखती रही। इस महामारी की चुनौती से जुड़े अन्य अहम पक्षों को नहीं समझ सकी। नतीजा यह कि एक बिंदु के बाद लोगों का धैर्य जवाब दे गया और चीन के तमाम बड़े शहरों में सरकार की जीरो-कोविड पॉलिसी के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन शुरू हो गए। आम लोगों का यह विरोध इतना तगड़ा था कि इसे दबाने की हर कोशिश नाकाम रही।

आखिर 7 दिसंबर को सरकार ने वह नीति वापस ले ली। सख्त पाबंदियां भी हटा ली गईं। मगर यह फैसला भी एक झटके में लिया गया। नतीजा यह कि लोग बड़ी संख्या में घरों से निकलने लगे, सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ लगने लगी और महामारी पहले से ज्यादा भीषण रूप में लौटी। सरकार के मुताबिक, 7 दिसंबर को जीरो कोविड पॉलिसी से जुड़ी सख्त पाबंदियां वापस लिए जाने के बाद से कोविड से एक भी मौत रिपोर्ट नहीं की गई है। लेकिन राजधानी पेइचिंग में अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट का फैलाव कैटरिंग से लेकर पार्सल तक तमाम सेवाओं को बाधित कर रहा है। शवदाह गृहों और अंत्येष्टि स्थलों पर हाल यह है कि स्टाफ कम पड़ रहे हैं। चीन में कोविड की पहली लहर के मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी के बीच आने के आसार हैं, जबकि दूसरी लहर जनवरी के आखिर से फरवरी के मध्य तक औऱ तीसरी लहर फरवरी के आखिर से मध्य मार्च तक। यानी आने वाले वक्त में चीन में मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। इसके अलावा, इकॉनमी के मोर्चे पर भी स्थिति और बिगड़ सकती है। IMF ने 2022 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 3.2 फीसदी और 2023 में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन कोविड-19 की आने वाली लहरों से ग्रोथ और कम रह सकती है। इसका ग्लोबल इकॉनमी पर भी बुरा असर पड़ेगा, जो पहले से ही मंदी की ओर बढ़ रहा है।

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