Vijay Garg: हमारे जीवन में ऐसी अनेक कहावतें, लोकोक्तियां, महापुरुषों के वचन, उपदेश इस तरह से रच-बस गए हैं, जिन्हें हम अक्सर वक्त आने पर बोलते-सुनते रहते हैं। इन सबके भीतर कई बार गहन विचार, दर्शन और संदेश छिपा होता है । इन सूक्तियों के भीतर उतरने के बजाय इनके चलताऊ उपयोग से अपने काम को सिद्ध कर लेने की प्रवृत्ति हमारी प्राथमिकता में रहती है । इनके भीतर उतरना सबके लिए उतना संभव नहीं हो पाता ।
कुछ कथनों को आधार बनाकर विचार करें तो 'बेहतरीन शुरुआत आधा काम सफल कर देता है' जैसे मुहावरे दर्शाते हैं। कि हरेक काम में हमारा पहला प्रभाव बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इसी प्रकार जब हम किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते हैं तब भी हमारा आचरण, व्यक्तित्व सामने वाले के मन में अमिट छाप छोड़ जाता है। इसका आशय यह भी है कि हमारी सफलता और लोकप्रियता की चाबी दूसरों को प्रभावित करने में छिपी हुई है । इस विचार को समझते हुए हम अपने पहले प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ बना देने के लिए उत्साह से जुट जाते हैं। विद्यालय, कालेज और व्यावसायिक संस्थानों और घर में भी अलग-अलग स्तर पर हमें प्रशिक्षण दिया जाता रहता है कि प्रभावी प्रदर्शन के लिए किस तरह प्रयास करने चाहिए। हमारे हाव-भाव, बोलचाल, हमारी वेशभूषा और जूतों तक के बारे में समझाइश दी जाती रहती है, ताकि हमारा पहला प्रभाव सामने वाले पर बेहतरीन रहे। कई बार हम इस विचार पर इतने अधिक केंद्रित हो जाते हैं कि हमें कुछ समय के लिए स्वांग रचने में भी कुछ गलत महसूस नहीं होता। हम सामने वाले की रुचि के हिसाब से उसे प्रभावित करने की जद्दोजहद कर सफल भी हो जाते हैं। प्रश्न अब यह उठता है कि बेहतरीन पहले प्रदर्शन के बावजूद आगे अपेक्षित सफलता क्यों प्राप्त नहीं हो पाती। ऐसे कई उदाहरण हैं कि जिन्होंने शानदार शुरुआत की थी, आगे चलकर गुमनामी के अंधेरों में लुप्त हो गए ।
यह गौर करने वाली बात है कि किसी भी काम की नई शुरुआत तब तक सफल नहीं कही जा सकती, जब तक कि वह हमारे जीवन के सभी आयामों को न छू लेती हो । दूसरे के मन में अमिट छाप छोड़ने से पहले उसका गहरा प्रभाव हमारे भीतर होना आवश्यक है। वही हमारे जीवन की सफलता को सुनिश्चित करता है। हमारे आत्मबल को मजबूत करता है । हम वास्तव में जैसे हैं, बिल्कुल वैसा ही हमें खुद को प्रस्तुत करना चाहिए। अगर बात या कार्य को शुरू करना है तो पहले उसके लिए अपने आपको दीर्घकालिक रूप से योग्य और समर्थ बनाना बहुत जरूरी है। किसी और के सामने सर्वश्रेष्ठ नजर आने के लिए किसी तरह के छल का उपयोग कर भले ही अपने पहले प्रभाव को सिद्ध कर लें, पर उसके बाद का हमारा रास्ता हम खुद ही बेहद जटिल बना लेते हैं। इससे कई गुना प्रभावशाली है वह पहला प्रदर्शन, जिसमें हमारी ईमानदार कोशिशें, संभावनाएं और हमारी कमियां भी नजर आती हों, सीखने-समझने और मेहनत करते रहने का जुझारूपन और ईमानदारी जैसे बुनियादी गुण - मूल्य व्यक्तित्व के वे जरूरी पहलू हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि भविष्य में हमारे लिए जो सर्वश्रेष्ठ होगा, वह हमें जरूर प्राप्त होगा ।
कोई भी प्रदर्शन मात्र एक क्षण न होते हुए असल में एक लंबी प्रक्रिया होती है जो दो बिंदुओं से जुड़ी हुई महसूस होती है । अगर पहला प्रदर्शन हमारी शुरुआत है तो हमें उसे बनाए रख कर अपने आप को लगातार परिष्कृत करते हुए हमारे जीवन के आखिरी पड़ाव तक ले कर जाना रहता है। यह एक जिम्मेदारी और मेहनत का काम है । जो चीजें प्रभावित करती हैं, जरा-सी चूक से उतनी ही जल्दी अपना प्रभाव खोने लगती हैं । हमारी छवि किसी के मन में अंकित है, वह दूसरे के मन में उसकी अपेक्षा के रूप में ही विद्यमान रहती है। अब हम अपने आप को उस अपेक्षा से नीचे नहीं ले जा सकते। अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारी पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है और सामने वाले का हम पर से विश्वास खत्म हो जाता है। तब बड़ी दुखद स्थिति बन जाती है।
हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा जीवन परिवर्तनशील और अनिश्चित है। हमारा आज हमारे बीते हुए कल तक हमारा भविष्य था और आने वाले कल में यह हमारा अतीत बन जाएगा। समय लगातार आगे बढ़ रहा है । किसी भी तरह की मुलाकात आखिरी मुलाकात का रूप ले सकती है। हमारा कोई भी शब्द किसी के लिए या हमारे द्वारा कहा गया आखिरी शब्द भी हो सकता है । हम पहले प्रदर्शन को लेकर चिंतित हो सकते हैं, जबकि हमारा हर प्रदर्शन हर बार अपनी छाप किसी न किसी रूप में इस दुनिया में और हमारे अपनों के जीवन पर छोड़ रहा होता है। हम एक बिंदु से दूसरे बिंदु की और लगातार आगे बढ़ रहे हैं, यह हम पर निर्भर है कि हम कितनी मेहनत कर सकते हैं, कितना सीख सकते हैं, कितना प्यार बांट सकते हैं और अपने जीवन को सार्थकता से जी पाते हैं। जब हम जीवन को उसके संपूर्ण अर्थ में समझ पाते हैं, तब हमारे मन से पहले प्रदर्शन का दबाव समाप्त हो जाता है । हमारे लिए हर दिन एक नया अवसर लेकर आता है जिसमें हम अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर सकते हैं। जीवन की किताब का पृष्ठ पलटने पर हम उसे दुबारा नहीं खोल सकते, नया पन्ना नई संभावना लेकर हमारे सामने आता है। किसी भी समय की गई हमारी ईमानदार कोशिशें हमारे जीवन पर और दूसरों पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब