Vijay Garg: विज्ञानियों ने एक अध्ययन में पाया कि सामाजिक असमानता का सीधा संबंध मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों से है। यह उम्र बढ़ने और डिमेंशिया से संबंधित माना जाता है। आने वाले वर्षों में डिमेंशिया के मामलों में वृद्धि का अनुमान है। खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसका प्रभाव अधिक देखने को मिल सकता है। इसे देखते हुए अध्ययनकर्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि मस्तिष्क स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों का इलाज करने के लिए स्थानीय सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
आयरलैंड के ट्रिनिटी कालेज डबलिन के शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर सहित अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों से पीड़ित 2,100 से अधिक व्यक्तियों और स्वस्थ लोगों को अपने अध्ययन में शामिल किया। पाया गया कि सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का मस्तिष्क की संरचना और कनेक्टिविटी में परिवर्तन से सीधा जुड़ाव था। खासकर स्मृति और संज्ञानात्मक कार्य के लिए आवश्यक क्षेत्रों में, जो उम्र बढ़ने और डिमेंशिया से प्रभावित होने के लिए जाने जाते हैं। यह अध्ययन नेचर एजिंग पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शोध में शामिल अल्जाइमर से पीड़ित लैटिन अमेरिका के लोगों पर इसका सर्वाधिक गंभीर प्रभाव देखा गया, जिससे पता चलता है कि सामाजिक असमानता के माहौल में बद्ध होने वाली आबादी में न्यूरोडीजनरेशन की स्थिति और खराब हो सकती है।
शोध मानसिक स्वास्थ्य को आकार देने में सामाजिक असमानता की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में डिमेंशिया की दरों में वृद्धि को देखते हुए निष्कर्ष मस्तिष्क स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों पर ध्यान देने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देता है।