एक अरब से ज्यादा भारतीयों को टीका लगना न केवल बड़ी उपलब्धि है, बल्कि एक ऐसा पड़ाव है, जिस पर पूरी दुनिया की निगाह जाएगी। कोरोना के मामले जिस तरह से भारत में घटे हैं और जिस तरह भारत इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचा है, उससे दुनिया में टीकाकरण को बहुत बल मिलेगा। देश में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के ठीक नौ महीने और पांच दिन बाद यह कामयाबी हासिल हुई है। 16 जनवरी को जब टीकाकरण की शुरुआत हुई थी, तब बहुतों को शक था कि क्या भारतीय लोग टीका के लिए इतनी बड़ी संख्या में तैयार होंगे? टीका को लेकर हिचक अभी भी जारी है, लेकिन तब भी सौ करोड़ खुराक अपने आप में एक इतिहास है। हालांकि, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि टीकाकरण की दिशा में हमारा सफर अभी आधा भी पूरा नहीं हुआ है। अभी भी हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, जिसने अभी टीके का कवच हासिल नहीं किया है। 18 साल से कम उम्र की आबादी का तो अभी टीकाकरण शुरू भी नहीं हुआ है। देश में 41 प्रतिशत से ज्यादा लोग इसी उम्र वर्ग के हैं।
अभी 100 करोड़ टीके लगे हैं और देश में 70 करोड़ से ज्यादा लोगों को एक या दो टीके लग चुके हैं। भारत में ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड टीका नसीब हुआ है। 88 करोड़ खुराक कोविशील्ड और 11.40 करोड़ खुराक कोवैक्सीन की लगी है। भारत में अब तक सात वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है और कोविशील्ड हर लिहाज से ज्यादा सुलभ है। कोवैक्सीन को जिस तरह की लोकप्रियता या कामयाबी हासिल होनी चाहिए थी, अभी तक नहीं हो सकी है। अत: देश की इस महत्वपूर्ण कामयाबी के लिए हमें कोविशील्ड की निर्माता कंपनी का भी आभार जताना चाहिए। इस कंपनी ने रातोंरात टीका निर्माण का मजबूत ढांचा विकसित किया और भारत सरकार से पूरा सहयोग लेकर मांग के अनुरूप आपूर्ति करने की कोशिश की। एक समय था, जब लोग टीका लेने जाते थे, लेकिन उन्हें लौटना पड़ता था, क्योंकि टीके कम मात्रा में उपलब्ध थे। अब एक नया खतरा यह है कि जब कोरोना के मामले घट गए हैं, तब लोग टीका लेने से मुंह मोड़ सकते हैं। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि टीके के प्रति उदासीनता न रहे। सरकार की ओर से भी शिथिलता नहीं आनी चाहिए। प्रतिदिन कम से कम एक करोड़ लोगों को टीका लगाने से कम की गति मंजूर नहीं होनी चाहिए। यदि हम प्रतिदिन 1.20 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण करेंगे, तभी इस साल पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण कर पाएंगे। एक चिंता यह भी है कि जब 18 साल से कम उम्र की आबादी को टीका लगने लगेगा, तब बाकी लोग कहीं उपेक्षित न हो जाएं। इसके अलावा टीकों का निर्यात भी शुरू होना है, अत: ध्यान रखना होगा कि अपने यहां टीकों में कमी न आए। सरकार की तारीफ करनी चाहिए कि निर्यात रोककर पहले देश को सुरक्षित किया गया है। अगर हम निर्यात न रोकते और निजी कंपनी को कोविशील्ड का निर्यात करने देते, तो टीकाकरण का लक्ष्य हमारे लिए पूरा करना कठिन हो जाता। कुल मिलाकर, अपने देश में ये टीके न केवल सहजता से उपलब्ध हुए हैं, मुफ्त टीकों का भी विस्तार देश के कोने-कोने तक है। हमारी सफलता इसी में है कि कोरोना के खिलाफ प्रचार व सजगता भी निरंतर बनी रहे।
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