विदाई : राष्ट्रपति भवन के बाद महामहिम का पता, क्या 12 जनपथ के बंगले में जाएंगे रामनाथ कोविंद?
देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पांच साल राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद विदाई की तैयारी कर रहे हैं।
एडवर्ड लुटियंस के डिजाइन किए महल रूपी राष्ट्रपति भवन को छोड़कर राष्ट्रपति और उनके परिवार के लिए किसी अन्य जगह पर रहना आसान तो नहीं होता होगा। पर कोई भी स्थायी रूप से तो राष्ट्रपति भवन में नहीं रह सकता है। खैर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1962 में पद मुक्त होने के बाद पटना चले गए थे। वह दिल्ली में नहीं रहे। पटना के लिए उनकी विदाई नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से हुई थी। देश के दूसरे राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन 1962 से 1967 तक अपने पद पर रहने के बाद चेन्नई चले गए थे। डॉ. जाकिर हुसैन 13 मई, 1967 से लेकर 3 मई, 1969 तक देश के तीसरे राष्ट्रपति रहे।
उनका पद पर रहते हुए निधन हो गया था। उनकी और उनकी पत्नी श्रीमती शाहजहां बेगम जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास के कब्रिस्तान में चिर निद्रा में हैं। भारत के चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरी 24 अगस्त, 1969 से 24 अगस्त, 1974 तक अपने पद पर रहने के बाद चेन्नई चले गए थे। उनके नाम का एक प्लाट लंबे समय से ईस्ट दिल्ली के विकास मार्ग पर खाली पड़ा है। उसमें उनकी नेमप्लेट भी लगी है। पांचवे राष्ट्रपति डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद का 11 फरवरी, 1977 को पद पर रहते हुए निधन हो गया था। उनके बाद एन. संजीव रेड्डी 1977 से 1982 तक देश के राष्ट्रपति रहे।
वह भी राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद दिल्ली से चले गए थे। उनका 1996 में बंगलूरू में निधन हो गया था। राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह 1982-1987 तक देश के राष्ट्रपति रहे। वह राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद तीन मूर्ति के पास सर्कुलर रोड के एक बंगले में रहने लगे थे। सर्कुलर रोड को अब उमाशंकर दीक्षित मार्ग कहते हैं। आर. वेंकटरमन 1987-92 तक देश के नौवें राष्ट्रपति रहे। वह दिल्ली में तो नहीं रहे, पर जब वह चेन्नई वापस गए, तो काफी हंगामा हुआ, क्योंकि उनके पास अपने तीन घर थे। इसके बावजूद उन्होंने राज्य सरकार से सरकारी आवास की मांग की।
उनके बाद शंकर दयाल शर्मा 1992-1997 तक राष्ट्रपति रहे। उनका 1999 में निधन हुआ। उन्हें सफदरजंग रोड में बंगला मिला था। उनके बाद उनकी पत्नी विमला शर्मा उस बंगले में 2020 तक रहीं। केआर नारायणन राष्ट्रपति पद पर 1997-2002 तक रहे। वह राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद लुटियन दिल्ली में ही रहे। एपीजे अब्दुल कलाम पद से मुक्त हुए, तो उन्हें सरकार ने 10 राजाजी मार्ग का बंगला आवंटित किया। यह बेहद खास बंगला है। राष्ट्रपति पद से 2017 में मुक्त होने के बाद प्रणब मुखर्जी भी इसी बंगले में रहे। यहां उनका निधन हुआ। यह दो मंजिला बंगला है।
लुटियन दिल्ली के बहुत ही कम बंगले दो मंजिला हैं। इसी बंगले में भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी भी रहते थे। चूंकि इधर कुछ समय तक सी. राजगोपालाचारी भी रहे, इसलिए इसके आगे की सड़क का नाम उनके नाम पर राजाजी मार्ग रख दिया गया था। मुखर्जी से पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल देश की राष्ट्रपति रहीं। वह कार्यकाल की समाप्ति के बाद पुणे चली गई थीं। दरअसल नियम यह है कि सरकार की सेवा से मुक्त होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति यदि राजधानी में रहना चाहें, तो उन्हें वहां कैबिनेट मंत्री को आवंटित होने वाला बंगला आवंटित किया जाए।
इस बीच, देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अगले माह राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद संभवतः अपने गृह नगर कानपुर न जाकर राजधानी के 12 जनपथ के बंगले में रहने जा सकते हैं। लुटियन दिल्ली के इस सबसे बड़े बंगलों में से एक 12 जनपथ के बंगले में मरम्मत की जा रही है। 12 जनपथ की रामविलास पासवान के बंगले के रूप में पहचान होती रही। वह 1989 में यहां रहने आए थे। बेशक, 12 जनपथ और 10 जनपथ राजधानी के दशकों तक सबसे खासमखास पते रहे।
राजीव गांधी को 10 जनपथ 1990 में आवंटित हुआ था। उनकी 1991 में हुई दर्दनाक मौत के बाद 10 जनपथ सोनिया गांधी के नाम आवंटित कर दिया गया था। आपको याद होगा कि सोनिया गांधी 2004 में यूपीए सरकार के हक में समर्थन जुटाने के इरादे से रामविलास पासवान के बंगले में चली गईं थीं। तब यह बड़ी खबर बनी थी। बहरहाल, देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पांच साल राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद विदाई की तैयारी कर रहे हैं।
सोर्स: अमर उजाला