Vijay Garg: विवाह के बाद कई दंपती विवाह प्रमाणपत्र नहीं बनवाते। परंतु यह एक कानूनी दस्तावेज़ है जो पति-पत्नी दोनों के विवाह का वैध प्रमाण होता है। यह न केवल विवाह की पंजीकरण प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है, बल्कि विवाह संबंधी अधिकारों की सुरक्षा भी करता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से विवाह पंजीकरण को अनिवार्य घोषित किया।
मैरिज सर्टिफिकेट क्यों होना चाहिए ? विवाह के बाद जो लड़कियां अपना सरनेम नहीं बदलतीं, उनके लिए यह दस्तावेज़ विवाह का क़ानूनी सबूत प्रदान करता है। विदेश में वीज़ा और इमिग्रेशन प्रक्रियाओं में पति/पत्नी के रिश्ते को प्रमाणित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है। बैंक जमा या जीवन बीमा लाभ प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है, ख़ासकर जब नामांकित व्यक्ति का नाम दर्ज नहीं हो । पेंशन योजनाओं और अन्य वित्तीय लाभों का दावा करने के लिए भी सर्टिफिकेट आवश्यक है। तलाक़, संपत्ति विवाद और उत्तराधिकार के मामलों में विवाह की वैधता साबित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है। यदि पति- पत्नी के सरनेम अलग हैं, तो बच्चों की वैधता प्रमाणित करने में यह सहायक होता है । मैरिज सर्टिफिकेट विवाह से संबंधित धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियों से महिलाओं की रक्षा करता है और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करता है। यदि विवाह प्रमाणपत्र नहीं होगा ... जिन पति-पत्नी की विदेश में साथ रहने या जाने की योजना है उनके लिए विवाह प्रमाणपत्र प्रस्तुत न कर पाने की स्थिति में वीज़ा और इमिग्रेशन प्रक्रिया में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बैंक जमा, जीवन बीमा या कर्मचारी बीमा पेंशन योजना के तहत, एक विवाहित व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद लाभ के लिए केवल अपनी पत्नी और बच्चों को नामांकित कर सकता है। बिना मैरिज सर्टिफिकेट के इन लाभों का दावा करना मुश्किल हो जाता है। पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति और पैतृक संपत्ति पर महिला के अधिकारों और हितों के दावे को सामान्यतः विवाह की वैधता के आधार पर चुनौती दी जाती है। मैरिज सर्टिफिकेट न होने की स्थिति में महिला अपने अधिकारों का दावा नहीं कर सकेगी। वैवाहिक विवादों या तलाक़ की स्थिति में, मैरिज सर्टिफिकेट न होने के कारण विवाह को अमान्य घोषित किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में बिना पंजीकरण और रीति-रिवाजों के किए गए विवाह को अमान्य करार दिया गया था। कई मामलों में, बिना रीति-रिवाजों के विवाह करने या धर्मस्थल में विवाह कर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती हैं। ऐसी स्थिति में, शिक्षित होने के बावजूद, महिलाएं विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब