Vijay Garg: जीव-जंतुओं का संरक्षण आज के समय में पर्यावरणीय चिंताओं का एक महत्वपूर्ण पहलू है। परंतु देखा गया है कि यह चर्चा अक्सर विलुप्तप्राय प्रजातियों और उनके बचाव तक ही सीमित रहती है। वृद्ध जानवरों के संरक्षण का महत्व, जो उनके झुंड या समाज में मार्गदर्शक और संरक्षक की भूमिका निभाते हैं, आमतौर पर उपेक्षित रह जाता है। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि बूढ़े और बुद्धिमान जानवर अपने समूहों एवं पर्यावरण में स्थायित्व बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। पृथ्वी के पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी यह जरूरी है।
मानवीय गतिविधियों के कारण न केवल वृद्ध व बुद्धिमान जीवों की संख्या में गिरावट आ रही है, बल्कि उनके साथ पर्यावरणीय और जैविक जानकारियां भी विलुप्त हो रही हैं। हालिया अध्ययन चार्ल्स डार्विन विवि, आस्ट्रेलिया के नेतृत्व में किया गया है और इसे साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में बताया गया है कि वृद्ध व बुद्धिमान जानवर जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
हाथी, व्हेल, बंदर और अन्य लंबे समय तक जीने वाली प्रजातियां अपने समूह के लिए अनुभवजन्य ज्ञान का स्रोत होते हैं, जो उनकी संतानों और समुदाय के लिए फायदेमंद होता है। उदाहरण के तौर पर, वृद्ध हाथियों (मैट्रियार्क्स) को सूखे के समय जल स्रोतों का पता लगाने और समूह की सुरक्षा का मार्गदर्शन करने में कुशल माना जाता है। इसी तरह वृद्ध व्हेल अपनी संतानों को भोजन प्राप्त करने एवं जटिल समुद्री वातावरण में नेविगेट करने का प्रशिक्षण देती हैं। विशेष रूप से मनुष्यों में, दादी-नानी जैसी संरचनाओं का प्रभाव संतानों के जीवित रहने और उनकी प्रजनन क्षमता पर भी देखा गया है। इसी तरह मछलियों और ठंडे खून वाले जीवों में वृद्ध और बड़े जीव लंबे समय तक प्रजनन कर सकते हैं और अपनी संतानों की संख्या बढ़ा सकते हैं। कई जानवरों के समूहों में वृद्ध सदस्य नेतृत्व और निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे युवा सदस्यों को प्रशिक्षित करते हैं।
वृद्ध जीवों की घटती संख्या के लिए मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार हैं। अवैध शिकार और मनोरंजन के लिए जानवरों का शिकार इन प्रजातियों की घटती संख्या का प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आवास की कमी और बीमारियां भी इन जीवों की संख्या को प्रभावित कर रही हैं। वृद्ध जीव न केवल अपने समूह के लिए बल्कि मानव समाज और प्रकृति के लिए भी अनमोल हैं। उनके अनुभव और ज्ञान को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो इसके परिणाम भावी पीढ़ियों के लिए भयावह हो सकते हैं। इसलिए वृद्ध जानवरों को संरक्षित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। यह प्रकृति और मानवता के हित में भी है।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब