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Yoga: कोरोना के इस दौर में जहां हर तरफ प्रतिरक्षा प्रणाली के बढ़ावा देने वाले उपाय करने के लिए लोगों के प्ररित किया जा रहा है, ऐसे में प्राणायाम का नियमित अभ्यास बेहतर विकल्प हो सकता है। तमाम अध्ययनों से पता चलता है कि सांस का यह अभ्यास कई गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में काफी लाभदायक हो सकते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में प्राणायाम अभ्यास करने से होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
प्राणायाम से सेहत को लाभ:
योग विशेषज्ञ बताते हैं, प्राणायाम अपनी सांसों को नियंत्रित करने का एक सबसे प्रभावी उपाय है। प्राणायाम का उद्देश्य शरीर और मन को जोड़ना है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाते हुए शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है। प्राणायाम में सांस लेने की विभिन्न तकनीक शामिल हैं। नादिशोधन, उज्जयी, भ्रामरी, भस्त्रिका ऐसे ही प्राणायाम के विकल्प हैं। साँस लेने के इन व्यायामों का अभ्यास कई तरह से किया जा सकता है। आइए तमाम प्रकार के प्राणायाम से स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
तनाव कम करने में प्राणायाम के लाभ:
साल 2013 के एक अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि प्राणायाम, तनाव के स्तर को कम करने में सहायक होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, जिससे तनाव प्रतिक्रिया में सुधार होता है। इसके अलावा साल 2013 के एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि जिन बच्चों ने प्राणायाम का अभ्यास किया उन्हें परीक्षा देने से पहले चिंता और तनाव का कम अनुभव हुआ।
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक:
उच्च रक्तचाप को तमाम प्रकार की बीमारियों का कारक माना जाता है, अध्ययनों से पता चलता है कि प्राणायाम का अभ्यास रक्तचाप को कम करने में सहायक होता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का जोखिम भी कम हो जाता है। साल 2014 के एक अध्ययन में उच्च रक्तचाप वाले प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इनमें कुछ लोगों को उच्चरक्तचाप रोधी दवाएं दी गईं जबकि कुछ को प्राणायाम करने को कहा गया। जिन प्रतिभागियों ने प्राणायाम का अभ्यास किया उनमें रक्तचाप का स्तर 6 सप्ताह में कम पाया गया।
फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक:
अध्ययनों से पता चलता है कि प्राणायाम का अभ्यास फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं। साल 2019 के एक अध्ययन में पाया गया कि 6 सप्ताह तक प्रतिदिन 1 घंटे प्राणायाम का अभ्यास फेफड़ों के कार्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राणायाम का अभ्यास फेफड़ों से संबंधित तमाम गंभीर बीमारियों जैसे अस्थमा, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और टीबी के खतरे को कम कर सकता है।
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Renuka Sahu
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