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Health Care: इन सफेद चीजों से हड्डियों में भरता है कैल्शियम

Bharti Sahu 2
22 July 2024 8:06 AM GMT
Health Care: इन सफेद चीजों से हड्डियों में भरता है कैल्शियम
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Health Care: कैल्शियम (Calcium) और विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी पोषक तत्व है। चिंता की बात यह है कि भारत दूध और अनाज आ सबसे बड़ा उत्पादक है, फिर भी यहां आधे से ज्यादा जनता कैल्शियम की कमी से जूझ रही है। Calcium की कमी होने की एक वजह डेयरी उत्पादों से मिलने वाले कैल्शियम की मात्रा में कमी होना है।
NCBI पर प्रकाशित एक अध्ययन (Ref) के अनुसार, भारत में सूरज की रोशनी भरपूर मात्रा में मिलती है, इसके बावजूद लगभग 85% भारतीयों में विटामिन D की कमी पाई जाती है। खाने से मिलने वाले कैल्शियम की कमी विटामिन D की कमी का भी कारण बन सकती है।
सफेद तिल है कैल्शियम का भंडार
डॉक्टर के अनुसार, कैल्शियम के लिए आपको बहुत सारी दवाएं लेने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप सफेद तिल का सेवन कर सकते हैं। यह आपको बाजार से आसानी से मिल सकते हैं। 200 ग्राम सफेद तिल से आपको रोजाना की जरूरत का कैल्शियम मिल सकता है। अच्छी बात यह है कि बाजर में मिलने वाले कैल्शियम की दवाओं के मुकाबले सफेद तिल के कोई नुकसान नहीं है।
कैसे करें सफेद तिल का इस्तेमाल
-राशन की दुकान से 200 ग्राम सफेद तिल लेकर आ जाएं।
-इन्हें तवे के ऊपर भून लें।
-ठंडा होने के बाद इसका पाउडर बना लें और स्टोर कर लें।
-कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए क्या खाएं
कैसे करें सफेद तिल का सेवन
-हड्डियों को ज्यादा से ज्यादा कैल्शियम देने के लिए आपको एक गिलास दूध को अच्छी तरह उबालना है। एक गिलास दूध में एक चम्मच तिल के बीजों का पाउडर डालकर सुबह-शाम पिएं।
-कौन-कौन ले सकते है तिल के बीजों का पाउडर
-कौन-कौन ले सकते है तिल के बीजों का पाउडर
-डॉक्टर ने बताया कि 10 साल से 35 साल के लोग इसका सेवन कर सकते हैं। इससे उनकी शरीर की किसी भी तरह की कमजोरी दूर हो सकती है। इसके अलावा बुजुर्ग भी इसका सेवन कर सकते हैं।
कैल्शियम की कमी के नुकसान
-हड्डियों का कमजोर होना
-ऑस्टियोपोरोसिस
-रिकेट्स
-ऑस्टियोमलेशिया
-मांसपेशियों में ऐंठन और परेशानी
-दांतों की समस्याएं
-थकान और कमजोरी
-एक्जिमा
-मूड संबंधी विकार
शरीर को रोजाना कितना Calcium चाहिए
-शिशु (6 महीने से 1 वर्ष): 400 मिलीग्राम
-बच्चे (1-3 वर्ष): 600 मिलीग्राम
-बच्चे (4-8 वर्ष): 800 मिलीग्राम
-लड़के और लड़कियां (9-18 वर्ष): 1200 मिलीग्राम
-पुरुष (19-50 वर्ष): 1000 मिलीग्राम
-महिलाएं (19-50 वर्ष): 1000 मिलीग्राम
-गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: 1300 मिलीग्राम
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