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आजकल की बिजी लाइफ में कमर दर्द होना एक आम बात है। दिन भर ऑफिस में कंप्यूटर के सामने बैठने से आपको कमर दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी ये लंबे समय तक चलता है तो कभी अचानक से कमर का दर्द उठता है।
अचानक दर्द होने के कारणों में शामिल है लंबे समय तक खड़े रहना, लंबे समय तक बैठकर काम करना या फिर ट्रैवलिंग करना। पुरुष हों या महिलाएं कमर का दर्द किसी को भी कभी भी हो सकता है। ऐसे में दर्दनिवारक दवा लेना खतरनाक हो सकता है। इसलिए योगा द्वारा आप कमर दर्द से निजात पा सकते हैं, आइए जानें कमर दर्द के लिए योगा आसन...
* मकरासन :
मकरासन की गिनती पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में की जाती है। इस आसन की अंतिम अवस्था में हमारे शरीर की आकृति मगर की तरह प्रतीत होती है इसीलिए इसे मकरासन कहते हैं। मकरासन से जहां दमा और श्वांस संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं वहीं यह कमर दर्द में रामबाण औषधि है।
* अर्धमत्स्येन्द्रासन :
यह एक बुनियादी और प्रभावशाली मरिचिआसन में से एक है। अपने बाएं पैर को सीधे रखें और अपना दाहिना पैर को मोड़ो ताकि आपका पैर सपाट रहें। सहायता के लिए अपने पीछे जमीन पर अपना दाहिना हाथ रखें और बाएँ हाथ की कोहनी को दाहिने घुटने पर रखें।
* गौमुखासन :
दोनों पैरों को मिलाते हुए, सीधा सामने फैलाकर बैठ जाएं। हाथों को बगल से जमीन पर लगा दें। अब बाएं पैर को मोड़ कर एड़ी दाएं नितंब के पास रखें या वज्रासन में भी बैठ भी सकते हैं। दाएं पैर को मोड़ कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक-दूसरे से स्पर्श करते हों। दाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोड़े और बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दाएं हाथ को पकड़ें। गर्दन और कमर सीधी रखें। एक ओर से करने के बाद दूसरी ओर से भी इसी तरह करें।
* अश्वासन :
दरी या कंबल पर पीठ के बल लेटें, घुटनों से मोड़कर पैरों में फासला रखें। एक टांग का घुटना दूसरे पैर की एड़ी से लगे। ध्यान रहे कि हाथ कंधों की सीध में और हथेली जमीन पर हो। सांस को पेट में अंदर भरकर नाभि के नीचे दबाकर रोकें। दायां घुटना बाएं पैर की एड़ी के साथ और ठोढ़ी कंधे के साथ लगी रहे। सांस छोड़ते हुए वापस आएं।
* अधो मुख श्वानासन :
योग की सबसे प्रतिष्ठित मुद्राओं में से एक है। यह आपके पूरे शरीर को फिर से जीवंत कर सकता है। अपने हाथों और पैरों के बल आएं और शरीर को एक मेज़ की स्थिति में लाएं। साँस छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं। अपने घुटने और कोहनी को मजबूती देते हुए अपने शरीर से उल्टा वी (V) बनाएं। हाथ कंधो के जितनी दूरी पर होने चाहिए। पैर पीठ की दूरी के बराबर और एक दुसरे के समानांतर होने चाहिए। अपनी हथेलियों को जमीन पर दबाएँ और कंधो से मजबूती प्रदान करें। लंबी गहरी साँस लें अधोमुख श्वान की अवस्था में बने रहें। अपनी नज़र नाभि पर बनाये रखें। साँस छोड़ते हुए घुटनो को मोड़े और वापस मेज़ वाली स्थिति में आएँ।
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